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शिवपाल के ऐलान के बाद अखिलेश यादव ने शुरू कर दी अपनी तैयारी, यादवों को लेकर भाजपा पर किया हमला

locationलखनऊPublished: Sep 05, 2018 06:53:50 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

समाजवादी पार्टी में छिड़ी जंग के बीच अब अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के पेच कंसने शुरू कर दिए हैं।

Akhilesh Shivpal

Akhilesh Shivpal

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में छिड़ी जंग के बीच अब अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के पेच कंसने शुरू कर दिए हैं। शिवपाल सिंह यादव जहां अपने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को मजबूत करने में लग गए हैं, तो वहीं अखिलेश यादव ने भी 2019 चुनाव के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी है। आखिर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सपा में एकता और बेटे-भाई की बीच में सुलह की कोशिशें नाकाम हुई है। जिसके बाद अब सपा के सदस्य, जो अभी तक असमंजस की स्थिति में थे, वो अब अखिलेश खेमें और शिवपाल खेमें के बीच अपना चयन कर सकेंगे। इस खीचांतानी के बीच अखिलेश यादव अपने मकसद से भटके नहीं है और उनके ऊपर हो रहे हमलों, खासतौर पर सत्ता दल भाजपा की ओर किए जा रहे वार पर वो पटलवार कर रहे हैं। आज ही शिक्षक दिवस के मौके पर उन्होंने भाजपा द्वारा किए जा रहे यादव सम्मेलन के लिए योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
अखिलेश यादव ने बीजेपी के यादव सम्मेलन पर कहा कि जहां एक तरफ सम्मेलन कर रहे हो, दूसरी तरफ वो उन्हें नौकरी से निकाल रहे हैं। अखिलेश ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि जातीय सम्मेलन करने के पीछे की वजह केवल लोगों का मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाना है। उन्होंने यहा भी कहा कि यदि राज्यपाल महोदय को पता चलेगा भाजपा यादव सम्मेलन कर रही है, तो वो उसी समय सम्मेलन रुकवा देंगे।
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संगठन को मजबूत करने में लगे अखिलेश-

शिवपाल के सियासी हड़कंप मचा देने वाले ऐलान के बाद भले ही अखिलेश यादव खुलकर इस पर न बोल रहे हो, लेकिन अंदर ही अंदर वो भी 2019 चुनाव में इससे आने वाली मुश्किलों को भांप गए हैं। यहीं वजह है कि वो पार्टी संगठन को मजबूत करन में लग गए हैं। बीते कुछ दिनों से वो सपा कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं से मीटिंग कर रहे हैं। इशारों-इशारों में प्रशांत किशोर के सर्वे के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती को भाजपा को हराने की प्रथम जिम्मेदारी भी दे दी थी। वहीं कांग्रेस व अन्य दलों से भी वो सांठ-गांठ मजबूत करने में लगे हैं। लेकिन बड़ी चुनौती उनके सामने सपा में शामिल शिवपाल खेमे के नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने की है।
यह किसी से भी छिपा नहीं है कि कापी लंबे समय से यूपी में सपा के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में मुलायम सिंह यादव व उनके भाई व पार्टी के अध्यक्ष रहे शिवपाल सिंह यादव ने जमीन आसमान एक कर दिया था। इसी के साथ मुलायम और शिवपाल के साथ कई ऐसे लोग जुड़े जिन्होंने इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज वो मुलायम और शिवपाल की बेहद इज्जत करते हैं। लेकिन पार्टी में उपेक्षित होने के चलते शिवपाल के अलग राह पर चलने के फैसले के बाद यही लोग अब सपा के लिए नहीं बल्कि सेक्युलर मोर्चे को मजबूत करने में शिवपाल के साथ लग गए है। ये वहीं लोग हैं जो शिवपाल के साथ खुद को उपेक्षित मान रहे हैं। और शिवपाल ने ऐसे लोगों के साथ में लेने का ऐलान तो पहले ही कर दिया था। शिवपाल के मोर्चे के साथ सीनियर नेताओं के जुड़ने की शुरुआत तब हुई जब सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे डुमरियागंज के पूर्व विधायक मलिक कमाल यूसुफ बसपा छोड़ शिवपाल खेमें में आ गए। यूसुफ सपा में रहते हुए शिवपाल के काफी करीब थे। 2017 चुनाव में सपा में विवाद होने के कारण उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया था, लेकिन अब वे दोबारा शिवपाल के साथ मिल नवगठित समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मोर्चे को मजबूत करने में लग गए हैं।
सूत्रों का मुताबिक, इसका एहसास करते हुए अखिलेश भी वरिष्ठ नेताओं और संगठन के पधाकिरायों के साथ मीटिंग करने में लग गए हैं और उन्हें विश्वास दिला रहे हैं 2019 चुनाव के साथ वे पार्टी में बेहद जरूरी हैं। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी कई बैठकें हो रहो हैं। मंगलवार को जहां उन्होंने विश्वविद्यालय छात्र जागरूकता अभियान की भी शुरुआत की तो वहीं बुधवार को अखिलेश यादव यूथ ब्रिगेड के साथ बैठक की।आखिर ये कोशिश कितनी कारगर साबित होती है, ये आने वाला वक्त ही बताएगा।
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