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Exclusive : योगी का दावा फेल, सड़क के गड्ढों में गिर कर मर गए 987 लोग

locationलखनऊPublished: Jul 17, 2018 05:12:45 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

योगी सरकार के गड्ढामुक्त सडक़ों के दावों के विपरीत गत वर्ष 2017 में इन गड्ढों ने 3,597 लोगों की जान ले ली…

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Exclusive : योगी का दावा फेल, सड़क के गड्ढों में गिर कर मर गए 987 लोग

पत्रिका एक्सक्लूसिव
लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की पहली प्राथमिकता प्रदेश में गड्ढामुक्त सड़कें थीं। इसके लिए सरकार बनते ही लोक निर्माण विभाग ने 1400 करोड़ जारी किए थे। दावा किया गया था कि जून 2017 तक पहले चरण में प्रदेश की 11 हजार सडक़ों के गड्ढे भर दिए जाएंगे। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी ऐसा न हो सका। जुलाई 2018 की आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश की आधी से अधिक सडक़ें बारिश के आते ही गड्ढों में तब्दील हो गयी हैं। सडक़ों के इन गड्ढों में गिरकर हर रोज लोग घायल हा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में सडक़ों में गड्ढे होने की वजह से देशभर में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष यूपी में 987 लोगों की जान सडक़ पर गड्ढों की वजह से हुए हादसों में चली गईं, जो देश में सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक उप्र में गड्ढों में तब्दील हो चुकी सडक़ें जानलेवा साबित हो रही हैं। योगी सरकार के गड्ढामुक्त सडक़ों के दावों के विपरीत गत वर्ष 2017 में इन गड्ढों ने 3,597 लोगों की जान ले ली। मतलब देश में सडक़ पर गड्ढों की वजह से औसतन रोजाना 10 जान जा रही हैं। 2016 के मुकाबले देखा जाए तो एक साल में यह आंकड़ा 50 फीसदी तक बढ़ गया है।
सबसे ज्यादा मौतें यूपी में
सडक़ हादसों की वजह से हुई मौतों के इन आंकड़ों को सभी राज्यों ने केंद्र सरकार के साथ साझा किया है। इन आंकड़ों से उजागर होता है कि गड्ढों के चलते उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 987 लोगों की मौते हुईं।
अन्य प्रदेशों में कम मौतें
वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में 726 लोगों को सडक़ पर गड्ढों होने की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी। 2016 की तुलना में महाराष्ट्र में गड्ढों के चलते होने वाली मौतों का यह आंकड़ा दोगुना रहा। इस मामले में यूपी के बाद सबसे ज्यादा खराब रिकॉर्ड हरियाणा और गुजरात का है। दिल्ली में 2017 में गड्ढों के चलते आठ लोगों की जान गई, जबकि 2016 में गड्ढों के चलते यहां एक भी इस तरह का मामला सामने नहीं आया।
क्या वजह है हादसों की
रिपोर्ट के मुताबिक सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह गलत डिजाइन, खराब रख-रखाव और सडक़ समस्याओं को सुलझाने की अनदेखी भी है। दूसरे उप्र में अधिकतर सडक़ें डामर की बनती हैं जो बारिश में उधड़ जाती हैं। कांक्रीट की सडक़ें बनें तो कम हादसे होंगे और सडक़ें भी कम टूटेंगी।
सरकार का दावा प्रदेश की 90 फीसद सडक़ें गड्ढामुक्त
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का दावा है कि योगी सरकार के गठन के तीन महीने के भीतर ही रिकॉर्ड 75 हजार किलोमीटर सडक़ों को गड्ढामुक्त कर दिया गया था। इनमें से 85 हजार किलोमीटर सडक़ गढ्ढों वाली थीं। इस तरह राज्य की 63 फीसदी सडक़ें गड्डा मुक्त हो गई थीं। पिछले साल 15 जून तक प्रदेश की सडक़ों को गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था। साल 2018 तक प्रदेश की 90 प्रतिशत से अधिक की सडक़ें गड्ढामुक्त कर दी गयी हैं। प्रदेशगौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग में दो लाख से अधिक किलोमीटर की सडक़ें हैं।
जनता को बना रहे बे वकूफ
ऑल इंडिया रोड कांग्रेस के सदस्य आरके श्रीवास्तव का कहना है कि राज्य सरकार गड्ढा मुक्त सडक़ के नाम पर जनता को बे वकूफ बना रही है। डामर की सडक़ें हर बारिश में तालाब बन जाती हैं। इसलिए इनकी जगह कांक्रीट की सडक़ बननी चाहिए तभी यातायात सुगम होगा।
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