लखनऊ

तब अखिलेश ने माया के स्मारकों की कराई थी जांच

रिपोर्ट में हाथी की मूर्तियों में बड़ी धनराशि खर्च करने का भी आरोप लगा था।
 

लखनऊFeb 08, 2019 / 03:35 pm

Ashish Pandey

तब अखिलेश ने माया के स्मारकों की कराई थी जांच

लखनऊ. लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट से बसपा सुप्रीमो मायावती को तगड़ा झटका लगा है। २०१९ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए गठबंधन करने वाली सपा और बसपा के घोटाले का जिन्न धीरे-धीरे बाहर आ रहा है। लखनऊ में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के रिवर फ्रंट घोटाले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच के बाद अब मायावती के कार्यकाल के दौरान स्मारक घोटाले पर देश की शीर्ष कोर्ट सख्त है। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के कार्यकाल में हाथी की मूर्तियों पर खर्च धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में दो अप्रैल को सुनवाई होगी।
5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे

अखिलेश सरकार मेंं मायावती सरकार के कार्यकाल में बने स्मारकों में घोटाले का अंदेशा होने पर जांच कराई गई थी। जांच में सामने आया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन पार्क और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे। इसमें हाथी की मूर्तियों में बड़ी धनराशि खर्च करने का भी आरोप लगा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने मायावती की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि हाथी की मूर्तियों पर खर्च पैसे वापस खजाने में जमा कराने चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा को कहा कि अपने क्लाईंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को प्रदेश के सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए।
अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए

चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि हमारा प्रारंभिक विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए। मायावती की ओर से सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें। अब इस मामले में दो अप्रैल को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है कि क्या मायावती और बसपा चुनाव चिन्ह की मूर्तिर्यों के निर्माण पर हुए खर्च को बसपा से वसूला जाए या नहीं। इसमें याचिकाकर्ता रविकांत ने मायावती और बसपा चुनाव चिन्ह की मूर्तिर्यों के निर्माण पर सरकारी खजाने खर्च करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि मूर्ति निर्माण पर हुए करोड़ों के खर्च को बसपा से वसूला जाए। याचिकाकर्ता रविकांत ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी धन को इस तरह नहीं खर्च किया जा सकता। सरकार की कार्रवाई अनुचित थी और इस पर सुनवाई होनी चाहिए। रविकांत ने 2009 में शीर्ष कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मूर्ति निर्माण पर हुए करोड़ों के खर्च को बसपा से वसूलने की मांग की थी।
बसपा को घेरते रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे की जानकारी मांगी थी। उत्तर प्रदेश में पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार इस मुद्दे पर बसपा को घेरते रहे हैं।
मायावती के शासनकाल में प्रदेश में कई पार्क का निर्माण करवाया गया। इन सभी पार्क में बसपा संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। यह मुद्दा इससे पहले भी चुनावों में उठता रहता है और विपक्षी इस मुद्दे पर निशाना साधते हैं। बसपा शासनकाल में पार्क लखनऊ, नोएडा समेत अन्य शहरों में बनवाए गए थे।
 
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