कुछ दिन पहले ही एकेटीयू ने ‘साइंस इन संस्कृत’ किताब का लोकार्पण किया था। किताब में साइंस के फॉर्मूलों को संस्कृत में लिखा गया है। साथ ही अंग्रेजी में भी उसका अनुवाद किया गया है। एकेटीयू के प्रो. विनीत कंसल ने बताया कि अब इस किताब को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक जो भी इसमें कंटेंट है, उसके साथ इसमें सामान्य संस्कृत का सिलेबस शामिल किया जाएगा। .एकेटीयू के कैंपस में जगह-जगह बोर्ड लगाए गए हैं। इन पर आगे-पीछे अर्थ सहित पौराणिक ग्रंथों में मौजूद संस्कृत के 150 श्लोक लिखे गए हैं। यह सभी श्लोक हमारे प्राचीन विज्ञान की जानकारियों से जुड़े हुए हैं।
प्राचीन विज्ञान गंगा की हुई स्थापना कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि विद्यार्थियों को पौराणिक ग्रंथों में रेखांकित सिद्धांतों पर आधारित आधुनिकतम विज्ञान एवं तकनीक से अवगत करवाने के लिए प्राचीन विज्ञान गंगा की स्थापना परिसर में गई है। प्राचीन विज्ञान गंगा में विभिन्न वैदिक शास्त्रों के लगभग 150 श्लोकों को प्रदर्शित करने का अनुप्रयोग किया गया है। ये बोर्ड परिसर के तीनों भवनों, प्रशासनिक, अकादमिक और डिजिटल लाइब्रेरी के चारों ओर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन भारतीय विज्ञान के समृद्धता को पूरी प्रमाणिकता और सहजता के साथ इंजीनियरिंग छात्र-छात्राओं तक पहुंचाना इसका लक्ष्य है।
यह श्लोक मुख्यतः विमान शास्त्र, खगोल विज्ञान, सौर ऊर्जा वास्तुकला, इंजीनियरिंग, कृषि विज्ञान, धातु विज्ञान, भूगोल, रसायन एवं भौतिकी के सिद्धांतों को स्पष्ट करते हैं। प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि योग विज्ञान पर शोध और इनोवेटिव आईडियाज पर कार्य करने वाले विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय पूरी मदद देगा।