2013 में वकील मोती लाल यादव ने एक जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि यूपी में जातिगत आधारित रैलियों पर रोक लगाया जाए। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जातिगत रैलियों पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद भी जातिगत रैलियां होना बंद नहीं हुई।
9 साल बाद कोर्ट ने दोबारा भेजा नोटिस 11 जुलाई 2013 को हाईकोर्ट ने यूपी में जातिगत राजनीतिक रैलियां आयोजन करने पर रोक लगाने लगा दी थी। खण्डपीठ ने इस मामले में यूपी के भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे राजनीतिक दल को नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा था। 9 साल बाद भी कोई राजनीतिक पार्टियां ने इस पर अपनी प्रतिक्रियां नहीं दी और ना ही चुनाव आयोग ने कोई जवाब दिया है।
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