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जाति आधारित रैलियों पर रोक की मांग पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने कांग्रेस, बीजेपी, सपा, बसपा को भेजा नोटिस

locationलखनऊPublished: Dec 05, 2022 02:52:54 pm

Submitted by:

Anand Shukla

2013 में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि बहुसंख्यक समुदाय को वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह के राजनीतिक दल रैलियां करते हैं।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 4 बड़ी राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा को नोटिस भेजा है। इन राजनीतिक पार्टियों के अलावा चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजा है। कोर्ट ने जवाब मांगा है कि क्यों ना जातिगत रैलियों को हमेशा के लिए रोक लगा देनी चाहिए। मुख्य चुनाव आयोग इन जातिगत रैलिया करने वाली राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कारवाई क्यों नहीं करता।
2013 में वकील मोती लाल यादव ने एक जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि यूपी में जातिगत आधारित रैलियों पर रोक लगाया जाए। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जातिगत रैलियों पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद भी जातिगत रैलियां होना बंद नहीं हुई।
9 साल बाद कोर्ट ने दोबारा भेजा नोटिस

11 जुलाई 2013 को हाईकोर्ट ने यूपी में जातिगत राजनीतिक रैलियां आयोजन करने पर रोक लगाने लगा दी थी। खण्डपीठ ने इस मामले में यूपी के भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे राजनीतिक दल को नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा था। 9 साल बाद भी कोई राजनीतिक पार्टियां ने इस पर अपनी प्रतिक्रियां नहीं दी और ना ही चुनाव आयोग ने कोई जवाब दिया है।
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कोर्ट ने राजनीतिक दलों से 15 दिसंबर तक मांगा है जवाब

2013 में अदालत ने पारित अपने आदेश में कहा था कि जातिगत रैलियां की अनुमति देना संविधान की भावना, मौलिक अधिकारों व दायित्वों का उल्लंघन है। कोर्ट ने एक बार फिर इस मामले की सुनवाई की और चिंता जाहिर करते हुए सभी राजनीतिक दलों से 15 दिसंबर तक जवाब मांगा है।
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