कोर्ट ने दिया आदेश वहीं कोर्ट ने पीड़िता के परिवार, अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) और हाथरस डीएम प्रवीण कुमार को सुनने के बाद आदेश में कहा कि तथ्यों से पचा चलता है कि मृतका का चेहरा दिखाने के परिवार के अनुरोध को प्रशासन ने स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया होगा लेकिन तथ्य यही है कि उनके बार-बार के अनुरोध के बावजूद उसका चेहरा उनमें से किसी को भी नहीं दिखाया गया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार का उल्लंघन किया गया और न सिर्फ पीड़ित परिवार बल्कि वहां मौजूद लोगों और रिश्तेदारों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई गई। इसलिए हमारे सामने महत्वपूर्ण मुद्दा है कि क्या आधी रात में जल्दबाजी से अंतिम संस्कार करके व बिना परिवार को मृतका का चेहरा दिखाए और आवश्यक धार्मिक क्रियाकलाप की अनुमति न देकर संविधान में प्रदत्त जीवन के अधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। यदि ऐसा है तो यह तय करना होगा कि इसका कौन जिम्मेदार है ताकि उसकी जिम्मेदारी तय की जा सके व पीड़िता के परिवार की क्षतिपूर्ति कैसे की जा सकती है।
मुआवजा बैंक में जमा करें कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रदेश सरकार ने पीड़िता के परिवार के लिए जो मुआवजे की घोषणा की है, परिवार ने उसे स्वीकार नहीं किया है। क्योंकि परिवार का कहना है कि मुआवजा अब किसी काम का नहीं। फिर भी मुआवजे का प्रस्ताव परिवार को जल्द से जल्द दिया जाए और यदि वह लेने से इंकार करते हैं तो जिलाधिकारी किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के ब्याज मिलने वाले खाते में इसे जमा कर दें, जिसके उपयोग के बारे में कोर्ट आगे निर्देश जारी करेगा।
पीड़िता के भाई से की 4 घंटे पूछताछ वहीं इस मामले में सीबीआई ने पहले दिन मंगलवार को तेजी से जांच शुरू कर दी। इस दौरान सीबीआई टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और सबूत जुटाए। वहीं पीड़ित परिवार के लोगों से भी पूछताछ की। इस दौरान सीबीआई की टीम पीड़िता के भाई को साथ लेकर गई। उससे करीब 4 घंटे की पूछताछ की गई।