हिंदी भाषी लोगों के लिए आसानी निर्णय के अनुसार हिंदी भाषा में अनुवाद करने के लिए न्यायलय प्रशासन अनुवादकों को नियुक्त करेगी। अगर कोई वादकारी किसी आदेश की प्रति की हिंदी भाषा में देने का आवेदन करेगा, तो नियुक्त शुल्क पर उसे आदेश का हिंदी अनुवाद दिया जाएगा। यह इसलिए किया जा रहा है ताकी जिन्हें अंग्रेजी भाषा की बेहतर समझ नहीं है, वे हिंदी में कोर्ट के आदेश को आसानी से समझ सकें।
जनवरी के पहसे सप्ताह से मिलेगी कॉपी इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस गोविंद माथुर का कहना है कि अनुच्छेद 343 के अनुसार राज्य की भाषा हिंदी है लेकिन अनुच्छेद 248 में सुप्रीम कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है। चाहे किसान हो, वर्किंग क्लास हो या छोटा व्यापारी, कई ऐसे लोग अंग्रेजी भाषा को समझने में असमर्थ होते हैं। इन वर्गों को न्यायपालिका में उचित प्रतिनिधित्व भी नहीं मिल पाया है। इनकी सुविधा के लिए यह फैसला लिया गया है। यह सुविधा जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू की जाएगी।