इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें यूपी सरकार से पूछा गया है कि राज्य में रेवेन्यू कोर्ट को आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए क्या कदम उठाए गए। याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कहा, “हम उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यक्रमों और परियोजनाओं के बारे में अदालत को जानकारी देने के लिए याचिका की सामग्री का जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देना उचित समझते हैं।”
मिर्जापुर के एक वकील की दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया है। इस याचिका में यह मांग की गई कि राजस्व न्यायालयों के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचा और बैठने की उचित व्यवस्था और अन्य सुविधाएंं समान रूप से दीवानी न्यायालय की तरह उपलब्ध करवाई जाएंं।
याचिका में डिवीजन बेंच को बताया गया कि, वर्तमान में राजस्व न्यायालय जिस भवन में स्थित हैं, वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और पर्याप्त रूप से नहीं बनाया गया है। उन्होंंने बताया कि, अदालत के अधिकांश भवन में यहां तक कि बार रूम भी उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि अधिकांश मामलों में पार्टियों को उनके काउंसल द्वारा दर्शाया जाता है। उन्होंने पीठ को बताया कि अधिकांश अदालतें जिनकी अध्यक्षता अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, उप न्यायिक मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और अन्य सहायक अधिकारी यूपी राजस्व संहिता, 2006 के तहत कर रहे हैं, उनके पास न्यायिक कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा भी नहीं है। इसलिए, सरकार से इन न्यायालयों को कंप्यूटर/ लैपटॉप और पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश मांगा था। साथ ही यूपी भूमि राजस्व अधिनियम से जुड़े मामलों के लिए एक अलग स्थायी राजस्व न्यायिक सेवा संवर्ग की स्थापना के लिए भी कहा गया।