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उप्र के राज्य पक्षी सहित इन पांच पक्षियों के बारे में जानकर वाह कह उठेंगे आप

locationलखनऊPublished: Feb 08, 2018 01:55:59 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

उप्र के राज्य पक्षी सहित इन पांच पक्षियों के बारे में जानकर वाह कह उठेंगे आप
 

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लखनऊ. इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल का आयोजन दुधवा टाइगर रिजर्व में नौ फरवरी से किया जाएगा। इस फेस्टिवल में रंग-बिरंगे व अलग- अलग प्रजातियों के पशु पक्षियों के देखने का मौका मिलेगा। इस फेस्टिवल में सारस के्न, व्हाइट पीकॉक, गोल्डेन फीजेन्ट, यलो पैराकीट, मोर, सफेद मोर, सारस करनेस , हिम तीतर व बंगाल फ्लोरिकन जैसे अनेक रंग- बिरंगे पक्षियों का आगमन हुआ है।आइए जानते है इन पक्षियों की विशेषताएं..
सारस करनेस

सारस विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी को क्रौंच के नाम से भी जानते हैं। पूरे विश्व में भारतवर्ष में इस पक्षी की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अतिरिक्त इस पक्षी की कुछ अन्य विशेषताएं इसे विशेष महत्व देती हैं। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं।
सारस पक्षी का अपना विशिष्ट सांस्कृतिक महत्व भी है। विश्व के प्रथम ग्रंथ रामायण की प्रथम कविता का श्रेय सारस पक्षी को जाता है। रामायण का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है। प्रातःकाल की बेला में महर्षि वाल्मीकि इसके द्रष्टा हैं तभी एक आखेटक द्वारा इस जोड़े में से एक की हत्या कर दी जाती है। जोड़े का दूसरा पक्षी इसके वियोग में प्राण दे देता है। ऋषि उस आखेटक को श्राप देते हैं।
हिम तीतर

हिम तीतर फीजैन्ट कुल का प्राणी है जो हिमालय के ऊंचे इलाकों में भरपूर पाया जाता है। यह पाकिस्तान, भारत, नेपाल और चीन में पाया जाता। अपनी प्रजाति का यह इकलौता पक्षी जीवित है। यह वृक्ष रेखा से ऊपर अल्पाइन चारागाह और खुले पहाड़ों की ढलानों में पाये जाते हैं लेकिन हिमालय के बर्फ़मुर्ग के विपरीत यह पथरीले इलाकों में नहीं पाये जाते हैं और उसकी भांति इतने सावधान भी नहीं होते हैं।
मोर

मोर एक बहुत ही सुन्दर तथा आकर्षक पक्षी है। बरसात के मौसम में काली घटा छाने पर जब यह पक्षी पंख फैला कर नाचता है तो ऐसा लगता मानो इसने हीरों से जरी शाही पोशाक पहनी हुई हो; इसीलिए मोर को पक्षियों का राजा कहा जाता है। पक्षियों का राजा होने के कारण ही प्रकृति ने इसके सिर पर ताज जैसी कलंगी लगायी है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। हमारे पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है।
बंगाल फ्लोरिकन

विश्व मेें मात्र एक हजार बंगाल फ्लोरिकन हैं। कंबोडिया और वियतनाम में इनकी संख्या अधिक है। भारत मेें उत्तर प्रदेश और असम में कुछ बंगाल फ्लोरिकन हैं। इस चिड़िया को बचाने के लिए प्रोजेक्ट लागू किया गया है। कुछ साल पहले महोफ जंगल में एक बंगाल फ्लोरिकन देखी गई थी।
सफेद मोर

सफेद मोर एक दुर्लभ प्रजाति है। सफेद मोर के पंख पिगमेंट की कमी के कारण सफेद होते हैं। इन मोरों में एक अनुवांशिक उत्परिवर्तन होता हैभारतीय मोर के पंख नीले और हरे रंग के होते हैं, लेकिन कुछ मोरों के शरीर में पिग्मेंट की कमी होती है, जिस वजह से उनका शरीर सफेद रंग का होता है। इस स्थिति को ल्यूसिज्म (एक तरह का जेनेटिक बदलाव) कहते हैं। जब सफेद मोर पैदा होते हैं, तो ये हल्के पीले रंग के होते हैं। जैसे-जैसे ये बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे इनका रंग सफेद होता जाता है।

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