अमेरिका और भारत में चिकन वॉर का ये है कारण ये तो पक्की बात है कि अमरिका लोग जितना खाते नहीं है, उससे दोगुना खाना बर्बाद करते हैं। अमेरिका में लोग चिकन लेग पीस से कहीं ज्यादा चिकन ब्रेस्ट खाना पसंद करते हैं। इसलिए वहां लेग पीस बहुत बर्बाद होता है। लेग पीस की इतनी बर्बादी को देखकर अमेरिका ने तय किया है कि वह अपना लेग पीस भारतीय नॉन वेजिटेरियन को खिलाएंगे। अब क्योंकि भारत में ज्यादातर नॉन वेजिटेरियन लेग पीस के शौकीन हैं, तो यहां लेग पीस की खपत ज्यादा है। अमेरिका अपने शहर में लेग पीस की बर्बादी को भारत भेज कर कमी पूरी करना चाहता है।
भारत में उत्तरप्रदेश में मीट का उत्पागदन सबसे ज्यादा होता है। यूपी में माट खाने वाले लोगों की तादाद भी ज्यादा है। लखनऊ के हजरतगंज का दस्तरखान नॉन वेज के लिए जाना जाता है। ऐसे में अब चर्चित जगहों पर देसी लेग पीस की जगह अमेरिकी लेग पीस का स्वाद लोगों को किस हद तक पसंद आएगा, ये तो वक्त ही बताएगा।
चिकन लेग पीस खिलाने के लिए की शिकायत अमेरिका ने डब्लूटीओ (World Trade Organisation) में शिकायत दर्ज की, कि वे अमेरिकी चिकन को भारत में इम्पोर्ट नहीं करते। ये तो गलत बात है। यहीं नहीं बल्कि अमेरिका ने यह भी कह डाला कि भारत डब्लूटीओ की नियमवाली का पालन नहीं करता है। इस मुद्दे पर भारत ने अपनी बात स्पष्ट रूप से तो रख दी लेकिन अंत में जीत अमेरिका के हिस्से में दर्ज हुई।
भारत में प्रभावित हो सकती है लोकल मार्केट विदेशी मटेरियल मिलने के बावजूद भारत को अमेरिका के लेग पीस में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसका कारण है कि अगर अमेरिका से भारत में लेग पीस आता है, तो इससे भारत की लोकल मार्केट काफी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। भारतीय लोकल मार्केट 25 फीसदी तक प्रभावित हो सकता है। इसके चलते सोयाबीन मार्केट और भुट्टे भी काफी हद तक प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि इन दोनों का इस्तेमाल नॉन वेज में अच्छी क्वांटिटी में होता है।
सालभर में इतने मीट का उत्पादन करता है भारत APEDA के मुताबिक 2011-12 में भारत में 2.3 टन मीट का उत्पादन हुआ। 2016-17 में भारत में 3.1 टन मीट का उत्पादन हुआ। 2017-18 में भारत में 2.9 टन मीट का उत्पादन हुआ।