सवाल- मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का प्रमुख कारण क्या है? जवाब- पीएम नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। यूपीए सरकार जो लोकपाल विधेयक लेकर आई थी, उसे मोदी सरकार ने कमजोर कर दिया। यही कारण है कि 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करूंगा। यह सरकार हर बात पर कहती है कि यह करेंगे, वह करेंगे पर करती कुछ नहीं है। चुनाव के पहले कहा कि 30 दिन में काला धन वापस लाएंगे और सबके अकाउंट में 15 लाख जमा होगा। सबको लगा 15 लाख आएंगे लेकिन कुछ नहीं मिला।
सवाल- इस बार आपके पुराने साथी साथ नहीं हैं, ऐसे में आप आंदोलन को कैसे बड़ा बनाएंगे जवाब- मैं अकेले भले ही रहता हूं लेकिन खुद को अकेला नहीं मानता। जनता ही मेरा परिवार है। इसी के दम पर हम सत्ता से लड़ने की क्षमता रखते हैं। अन्ना के मुताबिक, सरकार सिर्फ एक ही चीज से डरती है, वह है गिरने से। उन्होंने कई सरकारें गिराई हैं। महाराष्ट्र में दो बार और पिछली केंद्र सरकार की बुरी हार में उनकी अहम भूमिका रही है। 23 मार्च को फिर किसानों और लोकपाल के मसले पर रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेंगे। जब तक हल नहीं निकलेगा अनशन चलता रहेगा।’
सवाल- आपके पुराने साथियों ने राजनीति की ओर रुख कर लिया, इस बात की क्या गारंटी कि नए साथा ऐसा नहीं करेंगे। जवाब- पिछले आंदोलन में जुड़े लगभग सभी करीबी अब दूर जा चुके हैं। इस बार वह आंदोलन में शामिल होने वालों से शपथ पत्र भरवाउंगा। इस शपथ पत्र में आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को यह लिखकर देना होगा कि वे कभी राजनीति में नहीं आएंगे। उअगर किसी ने राजनीति में कदम रखा तो वह उसे कोर्ट में घसीटूंगा। इस बार कोई केजरीवाल नहीं निकलेगा बल्कि समाधान निकलेगा।
सवाल- अभी तक क्यों लटका हुआ आपका वाला जनलोकपाल? जवाब- देश में लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्त का कानून 2013 में पारित हो चुका है, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी इस पर अमल नहीं किया गया है। इतना ही नहीं इतने लंबे समय तक कानून को लटकाए रखने की वजह से सरकार की मंशा पर पूरे देश को शक पैदा होने लगा है। सरकार इसके प्रावधानों में संसोधन करके उसके पूरे उद्देश्य को ही समाप्त कर देना चाहती है। देश में किसानों की बदहाली पर भी अन्ना हजारे ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने सरकार से किसानों की फसालों का उचित मूल्य दिलाने और स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं को तत्काल लागू करने की सिफारिश की है।
सवाल- चुनावी प्रकिया में किस तरह का सुधार आप लाना चाहते हैं?
जवाब- लोकतंत्र को मुक्त कराना है तो ईवीएम मतपत्र पर प्रत्याशी की फोटो को ही चुनाव चिन्ह बनाया जाये जिससे न सिर्फ चुनाव चिन्हों की नीलामी बंद होगी बल्कि प्रत्याशी चुनाव जीतनें के बाद भी जनता के बीच रहनें को बाध्य होगा क्यूंकि आगे भी वोट उसे अपनें चेहरे को पहचान करानें से ही मिलेगा, इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा।अन्ना के मुताबिक, नोटा को राईट टू रिजेक्ट की पावर देने और वोटों की गिनती टोटलाईजर मशीन से गिनती हो जिससे लोकतंत्र को प्रभावी बनाया जा सके।
जवाब- लोकतंत्र को मुक्त कराना है तो ईवीएम मतपत्र पर प्रत्याशी की फोटो को ही चुनाव चिन्ह बनाया जाये जिससे न सिर्फ चुनाव चिन्हों की नीलामी बंद होगी बल्कि प्रत्याशी चुनाव जीतनें के बाद भी जनता के बीच रहनें को बाध्य होगा क्यूंकि आगे भी वोट उसे अपनें चेहरे को पहचान करानें से ही मिलेगा, इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा।अन्ना के मुताबिक, नोटा को राईट टू रिजेक्ट की पावर देने और वोटों की गिनती टोटलाईजर मशीन से गिनती हो जिससे लोकतंत्र को प्रभावी बनाया जा सके।