एलडीए व अंसल एपीआई में २६ नवंबर २००५ को हुए अनुबंध के तहत एलडीए को बिल्डिंग निर्माण के दौरान मौका मुआयना कर यह तक करना था कि किसी तरह की कोई कमी तो नहीं। इस संबंध में प्रश्न किया गया है कि एलडीए ने कितनी बार हाईटेक टाउनशिप का निरीक्षण किया। साथ ही, अंसल ने कितना निरीक्षण शुल्क एलडीए को अब भुगतान में दिया है।
दूसरे अनुबंध के अनुसार पूछा गया है कि एलडीए ने अंसल के फेज एक व दो में अंसल की कुल बिक्री योग्य भूमि का कितना क्षेत्रफल एलडीए ने जमानत के तौर पर रोक रखा है। इसी तरह नौ फरवरी २०१० को हुए अनुबंध का हवाला देते हुए आवंटियों का प्रश्न है कि क्या नक्शा पास हुए बगैर ही अंसल को प्लाट आदि बुक करने की इजाजत एलडीए द्वारा दी गई थी यदि नहीं तो अंसल द्वारा कई ऐसे प्रोजेक्ट की बुकिंग कैसे की गई। इसी तरह पूछा गया कि क्या अंसल ने प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए निलंब खाता खोले गए। नियमानुसार प्रोजेक्ट के लिए धनराशि का ७० फीसदी खाते में जमा किया गया। २६ अप्रैल २०११ के अनुबंध के संदर्भ में सवाल किया गया कि प्रोजेक्ट में देरी होने पर अंसल के ऊपर शर्त के अनुसार कब और कितना जुर्माना लगया गया।
उल्लेखनीय है कि अंसल एपीआई ने आवंटियों को नियत अवधि में लैट आदि नहीं दिए। इसके अलावा, जिन सुविधाओं का हवाला दिया गया था, मौके पर वह सुविधाएं नहीं मिलीं। अंसल के पीडि़त समूह की ओर से लिखे इस पत्र में एलडीए व एपीआई के बीच हुए अनुबंध के संबंध में प्रश्न किये गए हैं। इसमें मौके का निरीक्षण, देरी होने पर जुर्माने जैसे सवाल किये गए हैं।