याची के अधिवक्ता सीबी पांडेय के मुताबिक वर्ष 2000 में एक अध्यादेश के बाद राज्य सरकार ने यू पी पंचायत राज अधिनियम बनाया जिसकी धारा 12(3)(ए) में के तहत कार्यकाल खत्म होने पर सरकार पंचायतों में प्रशासन समिति या प्रशासक नियुक्त कर सकती है। जबकि इस अध्यादेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने असंवैधानिक करार देकर रद्द कर दिया था। ऐसे में जब मूल अध्यादेश के निरस्त होने पर उसके बाद बने कानून के तहत राज्य सरकार प्रशासकों की नियुक्ति नहीं कर सकती है। याचिका में यह कहते हुए अधिनियम की धारा 12(3)(ए) को चुनौती दी गई है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 243 (ई) के तहत पंचायतों का कार्यकाल 5 साल से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।