उन्हीं में एक काम खाना पकाना भी है
महानिरीक्षक आईजी जेल प्रमोद कुमार मिश्रा ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से जेल में खाना बनाने का काम कैदी ही करते आ रहे हैं। सजा काटने के दौरान कैदियों को तरह-तरह के कामों में लगाया जाता है, उन्हीं में एक काम खाना पकाना भी है। देखा गया है कि गर्मी में कई-कई घंटे रसोई में खाना बनाने वाले कैदियों के हेल्थ पर इसका विपरित असर पड़ता था और अक्सर वे कैदी बीमार हो जाते थे।
महानिरीक्षक आईजी जेल प्रमोद कुमार मिश्रा ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से जेल में खाना बनाने का काम कैदी ही करते आ रहे हैं। सजा काटने के दौरान कैदियों को तरह-तरह के कामों में लगाया जाता है, उन्हीं में एक काम खाना पकाना भी है। देखा गया है कि गर्मी में कई-कई घंटे रसोई में खाना बनाने वाले कैदियों के हेल्थ पर इसका विपरित असर पड़ता था और अक्सर वे कैदी बीमार हो जाते थे।
चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है
बताया कि इस नई व्यवस्था में रोटी बनाने से लेकर सब्जी काटने का काम मशीन द्वारा किया जाएगा। भोजनालय में आधुनिक चिमनी लगाई जाएगी जो अंदर की धुंआ को बाहर निकाल देगी। जेल प्रशासन द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन आठ से दस कैदियों को खाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई वे बाकी कैदियों की अपेक्षा उनके बीमारी के चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। जेल प्रशासन ने शासन को इसकी रिपोर्ट भेजी और साथ ही मॉडयूलर किचन का प्रस्ताव भी रखा।
बताया कि इस नई व्यवस्था में रोटी बनाने से लेकर सब्जी काटने का काम मशीन द्वारा किया जाएगा। भोजनालय में आधुनिक चिमनी लगाई जाएगी जो अंदर की धुंआ को बाहर निकाल देगी। जेल प्रशासन द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन आठ से दस कैदियों को खाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई वे बाकी कैदियों की अपेक्षा उनके बीमारी के चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। जेल प्रशासन ने शासन को इसकी रिपोर्ट भेजी और साथ ही मॉडयूलर किचन का प्रस्ताव भी रखा।
अभी तक पांच से छह घंटा लगता था
शासन से अनुमति मिलने के बाद अब जेलों में आधुनिक उपकरणों से भोजन पकाने की व्यस्था शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि एक साथ एक से दो हजार कैदियों का भोजन बनाने के लिए अभी तक पांच से छह घंटा लगता था। अब यह काम काफी कम समय में हो जाएगा। आईजी जेल ने बताया कि अभी यह व्यवस्था राज्य के २५ जेलों में लागू की गई है।
शासन से अनुमति मिलने के बाद अब जेलों में आधुनिक उपकरणों से भोजन पकाने की व्यस्था शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि एक साथ एक से दो हजार कैदियों का भोजन बनाने के लिए अभी तक पांच से छह घंटा लगता था। अब यह काम काफी कम समय में हो जाएगा। आईजी जेल ने बताया कि अभी यह व्यवस्था राज्य के २५ जेलों में लागू की गई है।