नए-नए स्टार्टअप के समय बहुत से नए इनोवेशन सामने आए हैं। नतीजा ये रहा कि किसी ने बर्बाद होने वाली वस्तुओं से इस्तेमाल होने वाली खास चीजें बना दी। ऐसी ही एक युवा से मिलाते हैं, जिनका नाम अरुण पांडेय है। अरुण पांडेय ने यूकेलिप्टस के फूल पत्तियों और पेड़ से तेल और शहद बनाने का सोचा। इसे जमीनी स्तर पर किया भी। यदि आप भी यूकेलिप्टस से तेल निकालना चाहते हैं तो प्रशिक्षण लेकर आसानी से कर सकते हैं। अरुण ने यूकेलिप्टस नाम से नीलगिरी के तेल को बाजार में उपलब्ध कराया। इससे करीबन सालाना 50 लाख रुपए कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूकेलिप्टस के पेड़ के तेल के साथ-साथ शहद उत्पादन भी किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें : Medicine: तनाव और सिरदर्द से आराम देगी ये हर्बल टेबलेट, 90 दिन में हुआ परीक्षण अरुण पांडेय ने अब तक 50 लाख तक कर ली कमाई गोंड़ा जिले के वजीरगंज के अरुण कुमार पांडेय के अनुसार वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक कर चुके हैं। इन दिनों आईएएस की तैयारी कर रहे हैं। पढ़ाई दौरान उन्होंने यूकेलिप्टस के पत्तों से तेल और फूलों से शहद बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने ने बताया कि इस बिजनेस से अभी तक 50 लाख रुपए कमा चुके हैं। साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे चुके हैं। अरुण बताते हैं कि उन्होंने 2018 से इस कारोबार की शुरुआत की थी। अभी तक 5000 पौधे लगा चुके हैं।
तेल निकालने के लिए लिया प्रशिक्षण अरुण पांडे बताते हैं कि इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले उन्होंने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP ) में तेल निकालने का प्रशिक्षण लिया है। इसके तेल को यूकेलिप्टल नाम दिया गया है। अरुण पांडे एक साल में 50 से 60 क्विंटल तेल निकालते हैं, जिसकी आपूर्ति पूरे देश में की जाती है।
ये भी पढ़ें : बदलेगा टोल कलेक्शन का तरीका, फास्टैग सिस्टम होगा खत्म, जीपीएस ट्रैकिंग से वसूला जाएगा टोल टैक्स क्या है वैज्ञानिकों की राय पर्यावरण के हिसाब से इस पौधे को खराब कहना बिल्कुल गलत है। यूकेलिप्टस का पेड़ पानी में उगता है लेकिन हाइब्रिड यूकेलिप्टस ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर सकता। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP ) के वैज्ञानिक राजेश वर्मा का कहना है कि नीलगिरी की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल शहद बनाने में किया जाता है। पौधों या इसके तेल और शहद से किसी तरह की कोई नुकसान नहीं है। बस समस्या ये है कि यूकेलिप्ट्स जमीन का पानी अधिक सोखता है।