मतलब अगर आपकी प्राथमिक शिक्षा अच्छी है तो आपकी आगे की शिक्षा भी अच्छी ही होगी और अगर जिस देश का प्रत्येक इंसान अच्छी शिक्षा ले तो स्वतः उस देश का नाम अच्छा होगा इसलिए विश्व का प्रत्येक देश अपनी प्राथमिक शिक्षा पर इतना खर्च करती है कि आप सोच भी नही सकते आपको इस बात की हैरानी होगी कि हमारा देश में भी प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार इतना पैसा खर्च कर रही है कि अगर वो पैसा प्रत्येक बच्चे के खाते में डाल दे तो वो बच्चा इतनी अच्छी शिक्षा पा लेगा कि अमेरिका के भी बच्चे उतनी अच्छी शिक्षा नही पा सकते हैं
हमारे देश में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए सरकार ने प्री प्राथमिक यानी आंगनवाड़ी केंद्र और प्राथमिक विद्यालय खोले हैं। आंगनवाड़ी में जो भी योजना आती है वो ब्लाक ऑफिस के जरिये आंगनवाड़ी केंद्र तक पहुँचती है और फिर महिलाओ और बच्चों को मिलती है और प्राथमिक विद्यालय में जो भी पैसा आता है वो प्रधान और हेड मास्टर की सहायता से मिलता है मिड डे मील बच्चों के लिए होता है पर बच्चों के मिड डे मील से कोई और ही अपनी भूख मिटा रहा है और बच्चों को ऐसा खाना मिलता है कि उसको कुत्ते भी ना खाये मनरेगा योजना में मशीन से काम करवा कर मज़दूरों का नाम लिखते हैं और मज़दूरों के खाते में जो सीधे पैसे आते हैं उसको निकलवा लेते हैं
और मज़दूरों को कुछ पैसा दे देते हैं इस तरह के ये सारे काम गाँव के प्रधान की देख रेख में होता है फ़िल्म में इन सब भृष्टाचार के खिलाफ गाँव का एक लड़का खड़ा होता है और उसका साथ गाँव वाले देते हैं सरकार की नई नई योजना लोगो को बताता है इन सब भृष्टाचार से लड़ते हुए गाँव में एक दुःखद घटना हो जाती है लड़का इस सबको को पार करते हुए ये करने की कोशिश करता है कि एक गाँव का प्रधान कैसे बच्चों की शिक्षा में और गाँव के विकास के कामो के लिए कैसे काम कर सकता है !
इस फ़िल्म के निर्माता राज परीक्षित सिंह एवं लेखक,निर्देशक महमूद खान एवं कलाकार कलाकार यस बाबा, विष्णु,सिद्धार्थ श्रीवास्तव, शक्ति मिश्रा, कुणाल शर्मा,सुफ़ियान अली,मंजू गुप्ता, समीर,मार्क दीक्षित,रविश श्रीवास्तव, कविता श्रीवास्तव, दिव्या सिन्हा, पूजा सिंह,गरिमा रस्तोगी,अमलेश जायसवाल,अमित सिन्हा, उत्कर्ष बाजपाई,स्नेहा श्रीवास्तव लखनऊ के ही है ।