अटल विहारी वाजपेयी 1942 में राजनीति में आए उस समय भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई २३ दिनों के लिए जेल गए थे। अटल जी ने 1951 में आरएसएस के सहयोग से जनसंघ पार्टी बनाई, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए।
अटल जी पहली बार 1957 में यूपी के बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
१९७५-१९७७ में आपातकाल के दौरान वाजपेयी अन्य नेताओं के साथ उस समय गिरफ्तार कर लिए गए, जब वे आपातकाल के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना कर रहे थे। जेल से छूटने के बाद वाजपेयी ने जनसंघ को जनता पार्टी में विलय कर दिया। १९७७ में देश में लोकसभा का चुनाव हुआ जिसमें जनता पार्टी की जीत हुई और मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी जिसमें अटल जी विदेश मंत्री बने। जनता पार्टी की सरकार 1979 में गिर गई, लेकिन उस समय तक अटल जी एक अनुभवी नेता और कुशल वक्ता के रूप में जाने जाने लगे थे।
अटल जी 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। 1996 में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी पहली बार पीएम बने। 1998 में दुबारा हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलीं और कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयी ने एनडीए का गठन किया और फिर पीएम बन गए। यह सरकार तेरह महीने तक चली। 1999 में फिर लोकसभा का चुनाव हुआ और बीजेपी फिर से सत्ता में आई और वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। राजनीति में अटल जी जैसा नेता विरले ही पैदा होता है। 2005 में वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया। जब अटलजी ने सन्याय लिया तो उसी समय मनमोहन सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को वर्तमान राजनीति का भीष्म पितामह कहा था।