scriptअवध की संस्कृति के दर्पण  साथ आरम्भ हुआ अवध रंग महोत्सव | avadh rang mahotsav news | Patrika News

अवध की संस्कृति के दर्पण  साथ आरम्भ हुआ अवध रंग महोत्सव

locationलखनऊPublished: Jan 27, 2020 05:05:41 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

बनारस से आए अमित श्रीवास्तव ने प्रस्तुत की नृत्य नाटिका गंगावतरण

अवध की संस्कृति के दर्पण  साथ आरम्भ हुआ  अवध रंग महोत्सव

अवध की संस्कृति के दर्पण  साथ आरम्भ हुआ  अवध रंग महोत्सव

लखनऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन उत्तरप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान से तीन दिवसीय “अवध रंग महोत्सव” की शुरुआत जनपद के गोमती नगर में स्थित उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के मुख्य प्रांगण एवं प्रेक्षागृह में हुआ। कार्यक्रम के आयोजन के अंतर्गत देश-विदेश अंतरराष्ट्रीय कलाकार इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। आयोजन का उद्धघाटन उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की चेयरपर्सन “पद्मश्री असिफ़ा ज़मानी ” ने महेंद्र भीष्म” एवं विमलेन्दु शेखर फाल्कन टाऊनशिप प्राइवेट के फाउंडर की उपस्थिति में किया। ज़मानी ने एसोसिएशन की आर्टिस्ट डायरेक्टरी विमोचन भी किया। इस डायरेक्टरी का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कलाकारों कला के क्षेत्र उचित स्थान दिलाना है।
कार्यक्रम के प्रथम दिन कैलीग्राफी प्रदर्शनी उर्दू अकादमी एवं एस जी स्कूल ऑफ़ टेक्निकल की ओर से अकादमी के प्रांगण में आयोजित की गई इसके साथ-साथ भूपेंद्र अस्थाना की चित्रकला सृंखला शीर्षक “डिफरेंट मॉड ऑफ द किंग” की प्रदर्शनी ने भी दर्शकों को अपनी ओर खींचा इसके अलावा नवाब जाफ़र मीर अब्दुल्लाह की ओर से लखनऊ के अर्टिफैक्ट्स प्रदर्शनी में अपने घर के अर्टिफैक्ट्स दे कर सहयोग किया। अवध रंग महोत्सव का सम्पूर्ण संचालन “आरजे अनवारुल हसन” ने किया।
दिव्या श्रीवास्तव एवं रमा मिश्रा की सांस्कृतिक प्रस्तुति से भाव विभोर हुए दर्शक। कार्यक्रम का शुभारंभ दिव्या श्रीवास्तव ने अपनी भजन वंदना से किया इसके बाद उन्होंने “श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, “ओ कान्हा” एवं “मोहे पनघट छेड़ गयो रे” पर तालियां बटोरीं, इसके बाद रमा मिश्रा के नेतृत्व में मैत्री कंडारी एवं मोनिका सरीन ने गणेश वंदना पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।
तहज़ीब-ए-अवध फाउंडेशन की ओर से हुआ मुशायरा नज़्मों व शेरो से सजी महफ़िल

सायं 6 बजे से तहजीब-ए-अवध फॉउन्डेशन की ओर से मुशायरा किया गया जिसमें प्रदेश के नामी शायरों ने अपना कलाम पेश किये, “शोएब अनवर ने “मेरे मसलक के मनाफि”, “मैं सुन न पाऊंगा एक लफ़्ज़” से प्रस्तुत किया इसके बाद सलीम सिद्दीकी के कलाम “जुगनू भी घर से” ने दर्शकों की तालियां बटोरीं। मुशायरे का संचालन “अमीर फैसल” ने किया।
नाट्यशाला फाउंडेशन के रंगकर्मियों द्वारा अटल रंग महोत्सव के तहत हास्य नाटक “नयी सभ्यता – नये नमूने” का हुआ मंचन

डॉ0 शंकर शेष ने 1956 में यह नाटक लिखा था। यह अपने समय के “नए आदमी” के आसपास प्रफुल्लित करने वाली कॉमेडी है। फिल्म की कहानी एक होशियार लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक साथ दो अलग-अलग लड़कियों को प्यार कर रहा है उसका नौकर उसे स्थिति को संभालने में सहायता करता है। नाटक के हिंदी भाषा में हास्य को अच्छी तरह से आशयित किया गया है।नाटककार ने इस नाटक में मिथक का प्रयोग किया है। इस नाटक के द्वारा समाज में फैले भाई – भतीजवाद , भ्रष्टाचार आदि विसंगतियों को दर्शाने का प्रयत्न किया गया। नागपाल, भूपेंद्र प्रताप एवं शिखा सहाय ने कलाकारों के रूप में इसमें अपनी कला का प्रदर्शन किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो