बैठक में मुख्य रूप से जी एस टी ट्रिब्युनल, एजुकेशन ट्रिब्युनल, कम्पनी लॉ ट्रिब्युनल एवं लखनऊ उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का मुद्दा छाया रहा। सभी वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ट्रिब्युनल की स्थापना न की जाए और यदि स्थापना आवश्यक ही हो तो केवल लखनऊ में ही हो। बैठक में उत्तर प्रदेश के मानचित्र के माध्यम से इस बात पर बल दिया गया कि प्रदेश के 30 जनपदों को लखनऊ से जोड़ा जाय। क़रीब 20 ज़िलों के बार एसोसिएशन का लखनऊ उच्च न्यायालय में जुड़ने का प्रस्ताव भी अवध बार एसोसिएशन को प्राप्त हुआ। सभी वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि अब इस लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाया जा और इसमें सारे संगठनों ने उनके साथ रहने की प्रतिबद्धता जताई।
सर्वसम्मति से इस बात पर बल दिया गया कि यह लड़ाई सर्व समाज की है और जनहित की है और इसमें न तो अधिवक्ताओं का कोई व्यक्तिगत हित है और न ही शिक्षक संगठनों या व्यापारी संगठनों का है बल्कि आम जनता का हित जुड़ा हुआ है क्योंकि भारत सरकार की यह नीति रही है कि सभी व्यक्तियों को सस्ता एवं सुलभ न्याय मिले।सभी संगठनों ने अवध बार एसोसिएशन द्वारा चलाए गए इस आंदोलन और इस लड़ाई की भूरी भूरी प्रशंसा की और ये कहा कि आज यह पहला दिन नहीं है जब अधिवक्ता दूसरों की लड़ाई लड़ रहे हैं बल्कि अधिवक्ताओं के साथ तो यह जुड़ा हुआ है कि अधिवक्ता हमेशा दूसरों की लड़ाई लड़ते रहते हैं।
महापंचायत के बाद अवध बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने अपनी एक बैठक की जिसमें सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि अधिवक्ता गण सोमवार से न्यायिक कार्य करेंगे लेकिन इन आंदोलन को पूर्ववत रणनीति बनाकर चलाए रखा जाएगा।