सावन माह में रामलला को झूलने के लिए रामभक्तों ने चांदी की पालकी भेंट की थी। अब चैत्र रामनवमी के मौके पर भगवान के लिए चांदी की खड़ाऊं और चौकी दान की गयी है। खड़ाऊं के साथ 11 किलो की चांदी की चौकी को गर्भगृह स्थल पर पूजन के लिए रखा गया है। ट्रस्ट कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के अनुसार यह वस्तुएं मध्यप्रदेश के एक भक्त ने चढ़ाई हैं।
दर्शनार्थियों में किसी प्रकार के डर का भाव न जगे इसके लिए दर्शनार्थियों की जांच करने वाले महिला-पुरुष आरक्षियों की वर्दी बदल दी गयी है। सुरक्षाकर्मी पुलिस वर्दी के बजाय सादे वस्त्र में रहेंगे। सफेद शर्ट और काली पैंट को ड्रेस कोड बनाया गया है। इसके साथ सभी आरक्षी अपना-अपना परिचय पत्र भी साथ में रखेंगे।
राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण में गर्भगृह तैयार करने के लिए ऊंचा चबूतरा बनाया जा रहा है। इसे कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों के ब्लॉक से जोड़ा जा रहा है। इनमें राम नाम अंकित हंै। इसके अलावा मंदिर में आकर्षक नक्काशीयुक्त पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा जिसमें रामायण के प्रसंग उकेरे गए होंगे।
23 दिसंबर 2023 के बाद मंदिर के गर्भ गृह में भगवान श्री रामलला का दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे। 21 महीने बाद जब श्री रामलला विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन के बाद गर्भगृृह में विराजमान होंगे तब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूजन के मुख्य यजमान होंगे।
श्रीरामलला का मंदिर 160 विशाल स्तंभों पर बनकर खड़ा होगा। मंदिर के अंदर प्रवेश के बाद संगमरमर के पत्थरों से तैयार भगवान श्रीरामलला का गर्भगृह का होगा। प्रथम तल पर 132 और दूसरे तल पर 74 स्तंभ लगेंगे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा के मुताबिक जुलाई माह तक प्लिंथ बन जाने के बाद मंदिर निर्माण के लिए 160 स्तंभों को खड़ा करने प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद स्तंभों के ऊपर मेहराबों को जोडऩे का काम होगा।