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लखनऊ

एक लाख से ज्यादा बीएड की सीटें रह सकती हैं खाली, MBA का भी यही हाल

एमबीए व बीएड में सीटें भरना हुआ मुश्किल…एक लाख से ज्यादा बीएड की सीटें रह सकती हैं खाली, MBA का भी यही हाल

लखनऊMar 14, 2018 / 01:01 pm

Prashant Srivastava

student
लखनऊ. कुछ साल पहले तक बीएड और एमबीए पाठ्यक्रम में एडमिशन के लिए मारामारी रहती थी लेकिन इस बार इन पाठ्यक्रमों को लेकर छात्रों में रुझान कम दिख रहा है। पिछले कुछ साल की तुलना में कम आवेदन आए हैं। बीएड में 15 मार्च को खत्म होने जा रही आवेदन प्रक्रिया में अभी तक सिर्फ 72 हजार के आसपास आवेदन ही आए हैं जबकि, सीटों की संख्या करीब 1.96 लाख है। उधर, खराब स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अन्तिम तिथि में विस्तार करने का फैसला लिया है।
बढ़ाई जा सकती है अंतिम तिथि

सूत्रों के मुताबिक बीएड आवेदन की अंतिम तिथि 15 मार्च से बढ़ाकर 23 मार्च किए जाने की तैयारी है। बुधवार को इसकी घोषणा की जाएगी। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. एनके खरे ने बताया कि अभ्यर्थी अब 23 मार्च तक आवेदन फॉर्म भर सकेंगे। वेबसाइट पर इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी। बीएड के दो वर्षीय कोर्स में आवेदन की रफ्तार इस बार बीते साल के मुकाबले धीमी है। बीएड के लिए अभी तक केवल 61 हजार कैंडीडेट्स ने ही आवेदन किया है।
आवेदन की लास्ट डेट 15 मार्च तय की गई थी लेकिन, कम फॉर्म आने से इसे आगे बढ़ाया जाएगा। पिछले साल 4.50 लाख कैंडीडेट्स ने बीएड में दाखिले के लिए आवेदन किया था।बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रो। एनके खरे ने बताया कि अभी तक आवेदन फॉर्म भरने के लिए 1.5 लाख कैंडीडेट्स ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है और इसमें से 72 हजार ने ऑनलाइन फॉर्म भरा है। पिछले साल 4.50 लाख कैंडीडेट्स ने आवेदन किया था। ऐसे में आवेदन की लास्ट डेट आगे बढ़ाने की घोषणा मंगलवार को की जाएगी।
दो साल के बीएड ने गिराया रुझान

इस गिरते रुझान के लिए जानकार पाठ्यक्रम की समय सीमा बढ़ाकर दो साल किए जाने को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को सिर्फ पढ़ाने का तरीका सिखाया जाता है। इसके लिए एक साल का समय पर्याप्त है। सिर्फ राजधानी ही नहीं प्रदेश भर में वर्तमान में अच्छे शिक्षकों की भारी कमी है। प्राइवेट स्कूलों को शिक्षक मिल ही नहीं रहे हैं। एक सीट के लिए आवेदन भले ही 50 आ रहे हो लेकिन योग्य शिक्षक नहीं है। हाल में ही शहर के निजी स्कूलों ने बड़ी संख्या में शिक्षकों की डिमांड सामने आई थी। पिछले दिनों नामचीन स्कूलों ने आवेदन भी मांगे थे। करीब एक हजार से ज्यादा शिक्षक और दो हजार से ज्यादा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए आवेदन लिए गए थे। लेकिन, योग्य शिक्षकों की भारी कमी सामने आई।
एमबीए की स्थिति भी अच्छी नहीं

लखनऊ विश्वविद्यालय के एमबीए पाठ्यक्रम ने यहां के जिम्मेदारों की नींद उड़ा दी है। आगामी शैक्षिक सत्र 2018-19 में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है। हालत इतनी खराब है कि अगस्त से प्रक्रिया को शुरू किया गया। पहले कैट के अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए। इसके बाद कई बार समय सीमा बढ़ाई गई लेकिन, आवेदन प्राप्त नहीं हुए। विश्वविद्यालय भले ही कोई कारण दे, लेकिन जानकारों की मानें तो, विश्वविद्यालय एमबीए कोर्स की फीस प्रदेश के कई जाने माने एमबीए कॉलेजों से भी ज्यादा है। गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में एमबीए के करीब सात पाठ्यक्रम संचालित हैं। इसमें, एक रेगुलर है। बाकी सभी सेल्फ फाइनेंस मोड पर संचालित किए जा रहे हैं। करीब 700 सीट उपलब्ध है। इनपर दाखिले के लिए प्रक्रिया बीते अगस्त माह में शुरू की गई थी। कैट वाले अभ्यर्थियों से आवेदन लिए गए। बाद में, सभी के लिए आवेदन की प्रक्रिया खोल दी गई जिसकी समय सीमा में बार-बार परिवर्तन किया गया है।

किस साल कितने आवेदन

साल -कैंडीडेट्स

2015 -1.80 लाख

2016 -2.03 लाख

2017- 4.50 लाख

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