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सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला, लाखों लोगों की नौकरी पड़ी खतरे में

locationलखनऊPublished: Nov 04, 2017 05:29:42 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

जिन्होंने 2001 और 2005 के बीच इन डिस्टेंस कोर्सेस के लिए एडमिशन लिया था, उनके पास है दो विक्लप.

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लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेक्निकल एजुकेशन पर एक बड़ा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जो कई छात्र-छात्राओं और नौकरी कर रहे लोगों के लिए एक झटके के समान है। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि पत्राचार (करसपोंडेंस/डिस्टेंस) पाठ्यक्रमों के माध्यम से टेक्निकल एजुकेशन अब नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त निर्देश दिए हैं कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से डिस्टेंस एजुकेशन मोड में इंजिनियरिंग जैसे विषयों वाले कोर्स शुरू नहीं किए जा सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि डिस्टेंस लर्निंग से हासिल किया गया ज्ञान आपको थ्योरिकल सक्षम बना देता है, लेकिन प्रेक्टिकल जानकारी, जो आगे चलकर पेशे के तौर पर बेहज जरूरी है, वह प्राप्त नहीं हो पाती। स्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है कि जब विज्ञान विषय लेकर स्वाध्यायी छात्र के रूप में परीक्षा नहीं दी जा सकती तो तकनीकी विषयों के साथ पत्राचार के माध्यम से पढाई कैसे की जा सकती है?
सर्वोच्च न्यायालय ने सभी समकक्ष विश्वविद्यालयों को एआईसीटीई (AICTE) के अनुमोदन के बिना पत्राचार पाठ्यक्रमों की पेशकश को रोक दिया और उन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच का निर्देश दिया जिन्होंने विश्वविद्यालयों को 2001 से कार्यक्रम चलाने की इजाजत दी। अदालत ने यूजीसी के वकील और एएसजी मनिंदर सिंह और एआईसीटीई के वकील अनिल सोनी ने अदालत को बताया कि इंजीनियरिंग में डिस्टेंस एजुकेश की अनुमति नहीं हैं।
एक मौका है, बचा लीडिए अपनी डिग्री-
अदालत ने ऐसे विश्वविद्यालयों द्वारा जारी डिग्री को अमान्य करार दिया है, हालांकि उन विद्यार्थियों को लिए एक विकल्प दिया है, जिन्होंने 2001 और 2005 के बीच इन डिस्टेंस कोर्सेस के लिए एडमिशन लिया था। इन स्टूडेंट्स के पास एक बार फिर परीक्षा देकर अपनी डिग्री को पुनर्जीवित करने का मौका है। यह कहा गया है कि उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें ऐसा विश्वास दिलाया गया था कि इस पाठ्यक्रम के तहत हासिल की गई डिग्री मान्य होगी। लेकिन कोर्ट ने 2005 के बाद के बैच के छात्रों के लिए कोई सहानुभूति नहीं दिखाई थी क्योंकि उन्हें पता था कि ऐसे हासिल की गई डिग्री अमान्य होगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है, “एआईसीटीई (AICTE) एक उपयुक्त परीक्षा आयोजित करने के लिए रूपरेखा तैयार करेगी। छात्रों (2001-05 बैचों से) को परीक्षा साफ़ करने के लिए दो से अधिक मौके नहीं दिए जाएंगे। वहीं अगर वे निर्धारित समय के भीतर सफलतापूर्वक परीक्षा पास करने में असफल होते हैं, तो उनकी डिग्री रद्द हो जाएगी। वहीं 2005 के बाद के बैच वाले स्टूडेंट्स की डिग्री रद्द कर दी जाएगी।”
लखनऊ समेत यूपी में हैं कई ऐसे कॉलेज-

ऐसे में लाखों छात्र- छात्राओं और वर्तमान में नौकरी कर रहे लोगों के लिए एक बडी़ मुसीबत आन पड़ी है। डिस्टेंस कोर्सस के लिए भी ज्यादातर रेगुलर (फुल टाइम) कोर्सेस की तरह फीस मांगी जाती है। लखनऊ में भी है ऐसी कई टेक्निकल यूनिवरसिटीज हैं, जो डिस्टेंस कोर्सेस ऑफर करती हैं। माखनलाल यूनिवर्सिटी, ISOMES, ड्रीम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बीटेक इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंट मैनेजमेंट, सिक्किम मनीपल यूनिवर्सिटी जैसे कई ऐसे विद्यालय है जहां डिस्टेंस कोर्सेस ऑफर किए जाते हैं। इनमें कई इंस्टीट्यूट्स बंद भी हो चुके हैं। 2005 से पहले वाले छात्र-छात्राओं को यहां जरूरत है कि वो AICTE की वेबसाइट जाकर दोबारा परीक्षा के लिए इनरोल करें।
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