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Babri Masjid Demolition Case Verdict: बाबरी विध्वंस केस का फैसला अब से कुछ ही घंटों में, खत्म होगा 28 साल का इंतजार

locationलखनऊPublished: Sep 30, 2020 08:11:08 am

सीबीआई की विशेष अदालत (Special CBI Court) सुबह 10 बजे सुनाएगी अपना फैसला।
विशेष अदालत ने फैसले के दौरान सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid Demolition Case) के 49में से 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है।

Babari Masjid Demolition Case Verdict

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस का फैसला

लखनऊ. 28 साल के बाद बुधवार को अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने (Babri Masjid Demolition Case) के आपराधिक मामले का फैसला कुछ ही घंटों बाद आने वाला है। सीबीआई की विशेष अदालत (Special CBI Court) सुबह 10 बजे अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने इस मौके पर लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी व कल्याण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है। माना जा रहा है कि कोरोना के चलते कुछ अभियुक्तों के हाजिर रहने की संभावना कम है। इस मामले में कुल 49 लोग आरोपी बनाए गए, जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है। आरोपी बाल ठाकरे, आचार्य गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और विजयराजे सिंधिया जैसे प्रमुख आरोपी अब इस दुनिया में न हीं हैं।

 

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के इस मामले की बेहद लम्बी सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 351 गवाह और करीब 600 से अधिक दस्तावेजी सबूत पेश किये गए। सीबीआई और अभियुक्तों के वकीलों की तरफ से तकरीबन 800 पन्नों की लिखित बहस दाखिल की गई है। इन सबको देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि फैसला भी करीब 2000 के आसपास का हो सकता है। सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुबह 10 बजे से अपना फैसला सुनाना सुनाएंगे। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाली सीबीआई की विशेष अदालत के जज एसके यादव पिछले वर्ष 30 सितंबर को ही रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कार्ट ने उनका कार्यकाल बढ़ाने का आदेश दिया था। वह इस मामले की सुनवाई 2015 से कर रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में दो साल के अंदर मुकदमे का निपटारा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। इसके बाद तीन बार इसकी समय सीमा बढ़ायी गयी और 30 सितंबर 2020 इसकी आखिरी डेडलाइन थी। फैसले को देखते हुए पुराने हाईकोर्ट परिसर में फैसले के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। सेंट्रल बार एसोसिएशन की ओर से वकीलों से गुजारिश की गई है कि वह हाईकोर्ट के पुराने परिसर में जाने से बचें। पुराने परिसर में पार्किंग के लिये भी मना किया गया है। उधर फैसले को देखते हुए लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर समेत शहरों में एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

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