( Bahula Ganesh Chauth) बहुला गणेश चौथ पर मठ-मंदिर परिसर में सुंदर रंगोली सजायी गई। उसमें एक तरह शेर तो दूसरी और गाय और उसका बछड़ा उकेरा गया। इसके साथ ही उसमें नाद भी बनायी गई। उस में भुना चना और गेंहू का भोग लगाया गया। इस अवसर पर महंत देव्यागिरि ने गाय के बछड़े का पूजन कर समाज की समृद्धि के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर कल्याणी गिरी, गौरजा गिरी, रूपा रीतू, उपमा पाण्डेय, मंजू ने शुक्रवार के कारण बिना खट्टे पदार्थ का भोग तैयार कर पूजन-अर्चन किया। आकर्षित रूप से अलंकृत मंदिर परिसर में महंत देव्यागिरी ने सुबह और शाम को भोलेनाथ की विशेष आरती भी की।
महंत देव्यागिरी ने बताया कि बहुला वास्तव में कामधेनु गाय का अवतार है। एक बार भगवान कृष्ण परीक्षा लेने के लिए बहुला गाय के समक्ष शेर बनकर आ गए तब बहुला ने आग्रह किया कि वह अपने भूखे बछड़े को दूध पिला आए उसके बाद शेर उसका भक्षण कर ले। शेर से अनुमति मिलने के बाद ( Bahula Ganesh Chauth) बहुला ने वैसा ही किया। अपने बछड़े को दूध पिलाने के बाद बहुला को शेर के पास वापस लौटता देख भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बहुला को आशीर्वाद दिया कि बहुला गणेश चतुर्थी पर जो सुहागिन सच्चे मन से पूजन करेगी उसे संतान सुख की प्राप्ति होगी। महंत देव्यागिरी ने कहा कि लोग भोजन से पहले एक रोटी गाय के लिए निकाले और सड़क आदि पर प्लास्टिक आदि न फैंके।