लखनऊ

Baishakhi Significance 2021: जानिए बैसाखी पर्व का महत्व तिथि और मान्यताएं

Baishakhi Significance 2021 : हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता यह है कि हजारों साल पहले मुनि भागीरथ कठोर तपस्या के बाद देवी गंगा को धरती पर उतारने में बैसाखी पर्व के दिन कामयाब हुए थे। इसलिए बैसाखी पर्व के दिन हिंदू संप्रदाय के लोग पारंपरिक रूप से गंगा स्नान करने को भी पवित्र मानते हैं व देवी गंगा की स्तुति करते हैं। इस दिन पवित्र नदियोंं में स्नान का अपना अलग महत्व है।

लखनऊApr 12, 2021 / 09:31 pm

Neeraj Patel

Baishakhi Significance 2021

लखनऊ. Baishakhi Significance 2021 : उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बैसाखी पर्व को सिख समुदाय के लोग नए वर्ष (New Year) के रूप में हरसाल मनाते हैं। इस बार 2021 में बैसाखी पर्व 13 अप्रैल को सिख समुदाय (Sikh Community) के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाएंगे। प्रदेश के कुछ हिस्सों में बैसाखी पर्व को फसलों के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इस समय रबी की फसल पककर पूरी तरह तैयार हो जाती है और यहीं कटाई का समय भी होता है। खासतौर पर बैसाखी पर्व पंजाब और हरियाणा को लोग कई वर्षों से मनाते चले आ रहे हैं।

इसके अलावा देश से लेकर विदेश में रहने वाले सिख समुदाय के लोग भी बैसाखी पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। सिख समुदाय के लिए यह पर्व बहुत ही खास माना जाता है, लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं रिश्तेदारों और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां भी मनाते हैं।

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बैसाखी का महत्व (Baisakhi Ka Mahatva )

बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवें गुरू गुरु गोबिंद सिंह (Guru Govind singh) ने सन् 1699 में पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोविंद सिंह को उनके साहस और शौर्य के लिए जाना जाता है। गुरू गोबिंद सिंह ने लोगों में अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने और उनमें साहस भरने का बीडा़ उड़ाया था। उन्होंने आनंदपुर में सिखों का संगठन बनाने के लिए लोगों का आवाह्न किया और इसी सभा में उन्होंने तलवार उठाकर लोगों से पूछा कि वे कौन बहादुर योद्धा हैं तब उनमें से एक व्यक्ति निकलकर आया गुरु गोविंद सिंह उन्हें अपने साथ पंडाल में ले गए और रक्त से सनी हुई तलवार लेकर वापस आए और दोबारा वापस आकर यही सवाल किया तो फिर से एक सेवक आया, इसी तरह से एक एक करके पांच लोग सामने आए जो पंज प्यारे कहलाए। इन्हें खालसा पंथ का नाम दिया गया।

कैसे मनाते हैं बैसाखी (How To Celebrate Baisakhi)

बैसाखी वाले दिन सिख समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं। गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया करते हैं और गुरु वाणी सुनते हैं। इस दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रकार का अमृत तैयार किया जाता है जिसे लोगों में वितरित किया जाता है। लोग एक पंक्ति में लगकर अमृत को पांच बार ग्रहण करते हैं। अपराह्न के समय अरदास होती है और बाद प्रसाद को गुरु को चढ़ाया जाता है इसके बाद उसका वितरण किया जाता है। इसके बाद सबसे अंत में लंगर लोगों में प्रसाद के रूप वितरित किया जाता है।

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बैसाखी पर्व की मान्यता (Recognition of Baisakhi Festival)

हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता यह भी है कि हजारों साल पहले मुनि भागीरथ कठोर तपस्या के बाद देवी गंगा को धरती पर उतारने में इसी दिन कामयाब हुए थे। इसलिये इस दिन हिंदू संप्रदाय के लोग पारंपरिक रूप से गंगा स्नान करने को भी पवित्र मानते हैं व देवी गंगा की स्तुति करते हैं। इस दिन पवित्र नदियोंं में स्नान का अपना अलग महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी बैसाखी का बहुत ही शुभ व मंगलकारी महत्व है क्योंकि इस दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। वहीं सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से इसे मेष सक्रांति भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि लोगों के राशिफल पर बैसाखी का सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे सौर नववर्ष भी कहा जाता है। इस दिन सभी अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

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