विशिष्ट आंकड़ों के आधार पर तैयार की गयी इस रिपोर्ट को पर्पज क्लाइमेट लैब, नयी दिल्ली से आये संदीप दहिया, सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन जी, प्रज्ञा इंटर्नेशनल संस्था के निदेशक प्रमिल द्विवेदी जी और क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने संयुक्त रूप से जारी किया।
रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताते हुए एकता शेखर ने कहा “उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी इलाकों के वायु प्रदूषण का अध्ययन कर जारी की जाने वाली यह अब तक की पहली प्रदेश आधारित रिपोर्ट है। एयर किल्स नामक यह रिपोर्ट हमें बताती है की वायु प्रदूषण के श्रोतों को चिन्हित किया जाना और सख्ती से ख़त्म करना अब जरूरी हो गया है।
टॉप पांच प्रदूषित शहर
प्रदूषित शहर -PM2.5 -PM 10 बलिया – 348 -526 मऊ- 342- 476 गाजियाबाद- 280 -464 आजमगढ़- 253-385 कानपुर- 240- 334 सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने कहा “क्लाइमेट एजेंडा द्वारा तैयार यह रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये जाने वाले वायु गुणवत्ता जांच का दायरा बढाने की मांग करती है. वर्तमान में, नैशनल ऐम्बियेंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (नाकम) नेटवर्क के अंतर्गत यह जांच केवल 7 शहरों तक सीमित है। वायु प्रदूषण नियंत्रण के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा किसी तरह के उपायों से अछूता है। आम आदमी के स्वच्छ हवा में जीने के अधिकार के सन्दर्भ में यह एक अन्यायपूर्ण स्थिति है. यह रिपोर्ट इस मांग को और मजबूत बनाती है कि नाकम नेटवर्क के विस्तार मामले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बरते जाने वाले भेदभाव को तत्काल बंद किया जाए।”
प्रदूषित शहर -PM2.5 -PM 10 बलिया – 348 -526 मऊ- 342- 476 गाजियाबाद- 280 -464 आजमगढ़- 253-385 कानपुर- 240- 334 सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने कहा “क्लाइमेट एजेंडा द्वारा तैयार यह रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये जाने वाले वायु गुणवत्ता जांच का दायरा बढाने की मांग करती है. वर्तमान में, नैशनल ऐम्बियेंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (नाकम) नेटवर्क के अंतर्गत यह जांच केवल 7 शहरों तक सीमित है। वायु प्रदूषण नियंत्रण के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा किसी तरह के उपायों से अछूता है। आम आदमी के स्वच्छ हवा में जीने के अधिकार के सन्दर्भ में यह एक अन्यायपूर्ण स्थिति है. यह रिपोर्ट इस मांग को और मजबूत बनाती है कि नाकम नेटवर्क के विस्तार मामले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बरते जाने वाले भेदभाव को तत्काल बंद किया जाए।”
प्रज्ञा इंटरनेशनल संस्था के निदेशक प्रमिल द्विवेदी ने कहा “एयर किल्स नामक इस रिपोर्ट में उन जगहों को अधिक प्रदूषित पाया गया जहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नाकम नेटवर्क के तहत निगरानी नहीं करता। बलिया, मऊ, आजमगढ़, गोरखपुर आदि का इस लिस्ट में ऊपर होना इस बात का संकेत है कि पूरा प्रदेश काले धुंए की चपेट में है।