इस सम्बन्ध में राजधानी के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक डॉ आशुतोष वर्मा ने बताया कि यूपी पेडिकानउत्तर प्रदेश बाल रोग विशेषज्ञों की एक वार्षिक कांफ्रेंस है जिसमे लगभग ढेड़ हजार डॉक्टर्स आ रहे है। ये डॉक्टर्स सरकारी और गैर सरकारी सभी जगहों से हैं जोनवजात बच्चों में आ रही नई नई बिमारियों और उनसे ठीक होने की नई नई तकनीकों विषय में इस कांफ्रेंस में चर्चा करेंगे इसके साथ ही जो नए डॉक्टर्स है उनकोसिखने और समझानें के हम लोगो ने हिन्दुस्तान ही नहीं विदेशों से भी जो बाल रोग फील्ड के सबसे बड़े डॉक्टर्स, मेडिकल टीचर्स को यहाँ बुलाया है। ये सभी गेस्टडॉक्टर्स अगले तीन दिनों तक लखनऊ में रहेंगे जो यहाँ के डॉक्टर्स को बताएँगे की बाल रोगो को लेकर मेडिकल की दुनिया में क्या क्या नए बदलाव हुए, कौन सीनयी तकनीक आयी और किस तकनीक से इलाज सबसे बेहतर होगा।
कांफ्रेंस के 16 नवम्बर को 6 कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। पहली कार्यशाला किंग जार्ज मेडिकल कालेज के कलाम सेंटर में होगी जिसमे वन तो वनइंटरेक्शन होगा। दूसरी कार्यशाला विवेकानंद पॉलिक्लिनिक में बच्चों के गुर्दा रोग के बारें में होगी। तीसरी कार्यशाला डिवाइन हॉस्पिटल में होगी जिसमे हमबच्चों के हार्ट के बारें में बात करेंगे। चौथी कार्यशाला एरा मेडिकल कालेज मे होगी जिसमे हम नए बाल रोग विषेशज्ञों को बच्चों के टर्रटमेंट और उनसे उनके बिहेवके बारे में बताएँगे और समझायेंगे इसी तरह दो अन्य कार्यशालाएं भी बच्चों के बाल रोग से जुडी होगी। कांफ्रेंस के दूसरे और तीसरे दिन यानि 17 और 18अक्टूबर हो हम लोग कन्वेशन सेंटर में 22 अलग अलग रोगो पर देश और विदेश के विशेज्ञों के साथ परिचर्चा करेंगे जिससे यूपी के शिशु और मातृत्व मृत्यु दरऔर भी कम किया जा सकें।
मीडिया को सम्बोधित करते हुए वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की अध्यक्ष होने जा रही पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्यालीभट्टाचार्य ने कहा कि हमें 5 साल बाद ये मौका मिला है कि हम ये कांफ्रेंस लखनऊ में करें। इस कांफ्रेंस को सफल बनाने में हमारी पूरी टीम लगी हुई है। उन्होंने कहा तीन दिन की इस कांफ्रेंस में हमारा पूरा प्रयास यही होगा कि हम हर उम्र के बच्चों की समस्यों को छुएं उन पर चर्चा करें और एक सार्थक परिणाम प्राप्त करें। डॉ प्याली ने कहा कि इस कांफ्रेंस की खास साझेदारी हम लोगों ने यूनिसेफ, स्टेट क्रिमनाइजेशन के साथ, ताकि हम लोग अपने बच्चों को सबसे ज्यादा रेक्सीनेटकर पायें और ये आकड़ा 85 प्रतिशत के ऊपर चला जायें क्योंकि टीकाकरण के मामले में हमारा यूपी अभी बहुत पीछे है। इसलिए हमने सबको बोला है कि जोनया MR कंपेन होने जा रहा है MR को भी सरकार मिजेजस और रुबिला के टीकों को सरकार लांच करने जा रही है तो यूनिसेफ, ऐनएचएम, WHO की तरफ सेउसका भी संदेशा भी हमने सभी बाल रोग विषेशज्ञों को पहुँचाने की कोशिश की है।
वहीं लखनऊ एकेडमी आफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉ आर आहूजा ने कहा कि इस कांफ्रेंस का सबसे जरुरी मुद्दा निमोनिया की बीमारी हैक्योकि सबसे ज्यादा नवजात बच्चों की मृत्यु का कारण निमोनिया होता है, इसलिए इस ज्वलंत विषय पर हमने सेशन रखा है जिसमे हम ये चर्चा करेंगे कि कैसेहम बच्चों को बचाएं,, निमोनिया से हो रही उनकी मृत्यु दर को कैसे हम किया जाएँ। इसके आलावा दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा है बच्चों के पेट ख़राब होने की समस्या। इस पर भी एक पूरा सेशन हमने रखा है जिसमें 5 से 6 स्पीकर्स होंगे जो अपना व्यू रखेंगे।