कारोबारियों का कहना है कि खनन का काम शुरू तो हो गया है लेकिन अभी केवल स्टोर किया हुआ माल ही बाजार में बिक रहा है। गंदे माल के खरीदार कम होते हैं लेकिन बाजार में माल की आमद से अंतर पड़ रहा है। यही वजह है कि बाजार में भवन सामग्री की कीमतें घटने लगी हैं। 30 जून से मौरंग की खदानें बंद थी, जिससे बालू और मोरंग की कीमतों में तेजी आई थी। कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से ग्राहक और लेबर दोनों ही गायब हो गए थे हालांकि अभी बाजार में भवन निर्माण का काम तेज नहीं हुआ है लेकिन शुरुआत हो गई है। अभी धीरे-धीरे बाजार और नीचे आएगा।
प्रदेश में बालू मौरंग के करीब 200 खनन पट्टों की आवंटन प्रक्रिया जारी है। इन सभी खदानों से बालू-मौरंग बाजार में आने के बाद इनके दाम कम होने लगे हैं। मौरंग के दाम करीब 20 रुपए व बालू के दाम 10 रुपए प्रति घन फुट तक कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। हर मानसून सीजन जुलाई, अगस्त व सितंबर में खनन कार्य बंद रहता है। ऐसे में भंडारण की बालू-मौरंग ही बाजार में आती है। काला बाजारी के कारण हर साल बारिश के सीजन में दाम आसमान छूते थे। लेकिन जब से प्रदेश सरकार नई भंडारण पॉलिसी लाई है तब से इसकी कालाबाजारी पर अंकुश लगा है। अब भंडारण की बालू-मौरंग मानसून सीजन में बाजार में निकालना जरूरी है।
दो साल पहले मानसून सीजन में मौरंग के दाम 150 रुपए घन फुट तक पहुंच जाते थे, वहीं इस बार मौरंग के दाम 78 रुपए घन फुट से अधिक नहीं गए। सरकार ने बालू के 109 व मौरंग के 168 बफर स्टाक के लाइसेंस दिए थे। इनमें बालू 13,24,468 घन मीटर व मौरंग 25,84,186 घन मीटर थी। भंडारण की बालू-मौरंग पर्याप्त मात्रा में बाजार में पहुंचने व मांग इतनी अधिक न होने के कारण इसके दाम इस बार नहीं बढ़े।