पिता दिल्ली में करते हैं मजदूरी मंजेश ने बताया कि, ‘मैं बस्ती जिले के एक छोटे से गांव से आता हूं। मेरे पिता दिल्ली में मजदूरी हैं। पहले वह किसानी करते थे लेकिन उससे घर पर पूरा नहीं पड़ता था। इसी कारण पिता जी दिल्ली जाकर कमाने लगे। उनकी मेहनत का फल हमें मिला है। राष्ट्रपति के हाथों मेडल पाकर बेहद खुशी हुई। राष्ट्रपति ने कहा कि लगातार मेहनत करते रहो और मां-बाप का नाम रोशन करो।
कठिनाइयों को किया पार मंजेश ने बताया कि कई बार कठिनाइयां आईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह ये बताते हैं कि कुछ साल पहले तक तो उन्हें दीक्षांत समारोह का मतलब भी नहीं पता था। मंजेश ने बताया कि वह प्रोफेसर बनना चाहते हैं। फिलहाल वह रिसर्च कर रहे हैं। इसके अलावा गरीब बच्चों को पढ़ाते हैंं। उनके मुताबिक एजुकेशन सबको मिले उनका यही प्रयास है।
दीक्षांत समारोह में कुल 210 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल और करीब 2 हजार छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गई। टॉपर्स के बोल मैं हरदोई जिले के कुंवरपुर का रहने वाला हूं। पिता जी किसान हैं। मैं पीएचडी के लिए तैयारी करना चाहता हूं। भविष्य में एक सफल प्रोफेसर बनने का लक्ष्य है।
मंजेश, गोल्ड मेडलिस्ट मैं लखीमपुर खीरी की रहने वाली हूं। बीसीए करने के बाद मेरा प्लेसमेंट टीसीएस में हो गया था लेकिन मुझे रिसर्च फील्ड में जाना था इसी कारण बीबीएयू से मास्टर्स की पढ़ाई की।
ऋचा,गोल्ड मेडलिस्ट मैं सुल्तानपुर का रहने वाला हूं। गणित शुरुआत से तेज रही है। इसी कारण इसी फील्ड में रिसर्च कर प्रोफेसर बनना चाहता हूं। विकास, गोल्ड मेडलिस्ट राज्यपाल का गुरुमंत्र
राज्यपाल रामनाईक ने मुताबिक, दीक्षांत समारोह का मतलब है कि किताबी पढ़ाई खत्म हुई है। अब जीवन की लड़ाई स्टार्ट हुई है और ज्ञान तो जीवन के अंत तक प्राप्त करना चाहिए।” उन्होंने कहा- 3 बातों का ख्याल रखिए,माता-पिता, गुरुजन ने आपके पंखों में ताकत भरी है। आपको ऐसे आकाश में उड़ान करना है। जहां पूरा आकाश खुला है। जीवन मे अब बहुत बड़ी स्पर्धा आई है। इस स्पर्धा में आगे बढ़ना है तो कड़ी मेहनत के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। शॉर्टकट का प्रयोग कभी ना करो, जो हिम्मत नहीं हारता है, जीवन में वही आगे जाता है।