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विश्व मधुमक्खी दिवस: मधुमक्खियों ने छोड़ दिया अपना इलाका, जानें क्या हैं इसके कारण

locationलखनऊPublished: May 21, 2023 01:52:54 pm

Submitted by:

Markandey Pandey

Bees and Buterflies are leaving their homes, Know the reason: खराब होते आबोहवा और खतरनाक रसायनों के चलते 80 फीसद मधुमक्खियों और तितलियों ने अपना इलाका छोड़ दिया है। अब घरों, गमलों, फूलों के आसपास आपको तितलियों, मधुमक्ख्यिों दल नहीं दिख रहे। किसानों के लिए खासकर फल और फूलों की खेती करने वाले किसानों के ये साथी उनका साथ क्यों छोड़ रहे हैं आईए जानते हैं…

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फूलों का रस लेती मधुमक्खी

साल दर साल बढ़ रहे प्रदूषण की मार मनुष्य ही नहीं, कीटपतंगों पर भी पडऩे लगा है। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए टे्रनिंग और भारी भरकम फंड रिलीज कर रोजगार का दावा कर रही है, तो वहीं प्रदूषण की मार से मधुमक्खियों ने इलाका छोडऩा शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, घर के आसपास और गमलों में गुनगुनाने वाली रंग-बिरंगी तितलियों का दीदार भी दुर्लभ हो रहा है। लंंबे अरसे से तितलियां देखने को नहीं मिल रही हैं। आज विश्व मधुमक्खी दिवस है, इस अवसर पर कीट-पतंगों, मधुमक्खियों और तितलियों को लेकर बताते हैं कि किस प्रकार हमारे पर्यावरण से लेकर, किसानों की अर्थव्यवस्था तक से इनका योगदान खत्म हो रहा है।
जहरीली हवाओं से तितलियों ने छोड़ा इलाका
तितलियों और मधुमक्खियों के लगातार गायब होने का कारण हवा की खराब होती गुणवत्ता है। फसलों के उत्पादन से लेकर उनकी गुणवत्ता भी प्रदूषण की मार से प्रभावित हो रही है। यदि हवा में जहरीले तत्व इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो जल्दी ही इसका असर फसलों पर महसूस किया जा सकेगा। पर्यावरण विज्ञान से जुड़े संस्था सेंटर फॉर साईंस एंवायरमेंट ने दावा किया है कि अधिकतर फसलों की निषेचन प्रक्रिया परागण से होती है, जो कीटों द्वारा सम्पन्न किया जाता है। लेकिन प्रदूषण की मार से कीट-पतंगों की आबादी में भारी गिरावट आई है। लगातार बढ़ते प्रदूषण का जहर भी खेती किसानी के इन अदृश्य शक्तियों को नष्ट कर रहे हैं।
निओनिकोटीनाईड है मधुमक्खियों का दुश्मन
फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खादों के प्रयोग ने तितलियों और मधुमक्खियों के लिए जहर का काम किया है। इनमें निओनिकोटीनाईड नामक कीटनाशक का व्यापक प्रभाव मधुमक्खी पालन पर हो रहा है। रंगीन तितलियों की आबादी भी तेजी से घटने लगती है, यही कारण है कि तितलियों ने मानव आबादी के इलाकों से पलायन शुरु कर दिया है। हाल ही में गुडग़ांव में कीटनाशकों के प्रयोग पर अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें विशेषज्ञों का कहना था कि यूरोपीय तरीके से बनाए गए कीटनाशक हमारे यहां के लाभदायक कीटपतंगों को भी नष्ट कर रहे हैं।
शहर है रामबाण
सरकार ने प्रदेश के चार स्थानों पर मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। लोगों की जीवन शैली में शहद का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखी जा रही है। बाजार में लगभग 70 फीसद खाद्य पदार्थो में शहद का इस्तेमाल बढ़ा है। शहद में प्रोटीन, वसा, एंजाइम, विटामिन्स पाया जाता है। इसके अलावा इसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और आयोडीन भी पाया जाता है। शहद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, यही कारण है कि इनकी मांग में तेजी देखी जा रही है।
देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में छह यूपी के उत्तर प्रदेश के कुल 34 जिले खराब हवा के लिए चर्चा में रहे हैं। यहां पर गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर , लखनऊ, इलाहाबाद और गोरखपुर औद्योगिक बेल्ट है। यहां पर खराब वायु गुणवत्ता सालभर बनी रहती है। पिछले दिनों जब देशभर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब थी तब देश के सर्वाधिक दस प्रदूषित शहरों में छह यूपी के ही शामिल किए गए थे। जिनमें फैजाबाद, गोरखपुर, इटावा, बहराईच, लखनऊ और गोरखपुर थे।
खतरनाक रसायन
खेती किसानी में प्रयोग किए जाने वाले रसायनों में मिट़्टी का पीएच वैल्यू बदलने के लिए लिमिडिंग और एसिडिंग एजेंट का प्रयोग किया जाता है। मिट्टी कंडिशनर, कीटनाशक, खरपतवार नाशी, जीवाणनाशक, फफूंदनाशी, चूहामार आदि के व्यापक प्रयोग ने जहां हानिकारण कीटों को साफ किया है तो वहीं किसानों के दोस्त कहे जाने वाले और परागण क्रिया के लिए जिम्मेदार कीटों को भी नष्ट कर दिया है। इन रसायनों के प्रयोग ने मधुमक्ख्यिों और तितलियों की आबादी तेजी से कम की है तो उनको पलायन के लिए भी विवश किया है।

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