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भगवान श्री कृष्ण की 16108 पटरानियों के सच से उठा पर्दा जान लें यह सच

locationलखनऊPublished: Jul 08, 2017 12:44:53 pm

Submitted by:

Patrika Desk

अगर आप भी भगवान् श्री कृष्ण जी की 16108 पत्नियों के बारे में जानने की जिज्ञासा है तो आपके लिए यह खबर महत्वपूर्ण है

bhagwan krishna 16108 patrani secrets

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लखनऊ.अगर आप भी भगवान् श्री कृष्ण जी की 16108 पत्नियों के बारे में जानने की जिज्ञासा है तो आपके लिए यह खबर महत्वपूर्ण है। आइए आपको हम श्री कृष्ण की सोलह हज़ार पटरानियों के रहस्य के बारे में बताते हैं।

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महाभारत के अनुसार कृष्ण ने रुक्मणि का हार्न कर उनसे विवाह किया था। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान् कृष्ण से प्रेम करती थी। वह उनसे विवाह करना चाहती थी। रुक्मणि के पांच भाई थे। रुक्म, रुक्मराठ्रुक्मबाहु, रुक्मकेस और रुक्ममाली। रुक्मणि सर्वगुण संपन्न और बेहद सुंदर थी। उसके माता-पिता उसका विवहा कृष्ण के साथ करना चाहते थे लेकिन रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। कृष्ण को रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा।



यह भी जानें रुक्मणि के बाद फिर क्यों किया विवाह

पांडवों के लाक्षागृह से कुशलतापूर्वक बच के निकलने पर सात्यिक आदि यदुवंशियों को साथ लेकर श्री कृष्णा पांडवों से मिलने के लिए इंद्रप्रस्थ गए। युधिष्टर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुंती ने उनका आतिथ्य-पूजन किया। इस प्रवास के दौरान एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान् कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में वह विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिंदी श्री कृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्री कृष्णा ने उसके साथ
विवाह किया।



कृष्ण की आठ पत्नियां

फिर वह एक दिन उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से हर लाये। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजति के सात बैलों को एक साथ नाथ कर उनकी सान्या सत्या से पाणिग्रहण किया। इसके बाद उनका कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी। लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था। तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हारकर ले आये। रुक्मणि, जांबवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा इस तरह से श्री कृष्ण की केवल आठ ही पत्नियां थीं।

यह झूठ है कि कृष्ण की 16108 पत्नियां थीं

तमाम शोध और पुराणों में वर्णित मान्यताओं को देखा गया तो यह झूठ बात साबित कि कृष्ण की सोलह हज़ार पत्नियां थीं। कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ सुखपूर्वक द्वारिका में रह रहे थे। एक दिन स्वर्गलोक के राजा देवराज इंद्र ने आकर उनसे प्रार्थना की हे कृष्ण प्राग्ज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। क्रूर भौमासुर ने वरुण का छत्र, अदिति ने कुंडल और देवताओं ने मणि चीन छीन ली है। त्रिलोक विजय हो गया है। इंद्र ने कहा भौमासुर ने पृथ्वी के कई राजाओं और आमजनों की अति सुंदर कन्याओं का हरण कर उन्हें अपने यहां बंदीगृह में डाल रखा है। कृपया आप हमें बचाइए प्रभु।



ऐसी है 16 हज़ार पत्नियों की कहानी

इंद्र की प्रार्थना सुन कर श्रीकृष्ण अपनीअ प्रिय पत्नी सत्यभामा को साथ लेकर गरुड़ पर सवार हो प्राग्ज्योतिषपुर पहुंचे। वहां पहुंचकर भगवान् कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के छः पुत्र-ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार कियानभश्वान मुर दैत्य के वध हो जाने का समाचार सुन भौमासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना को साथ लेकर युद्ध के लिए निकल पड़े। भौमासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और घोर युद्ध के बाद अंत में कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से उसका वध कर डाला। इस प्रकार भौमासुर को मारकर श्रीकृष्ण ने उकसे पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर उसे प्राग्ज्योतिष का राजा बनाया। भौमासुर के द्वारा हरण लाई गईं 16, 100 कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर दिया। ये सभी अपहरण की हुई नारियां थीं जो भौमासुर के द्वारा पीड़ित थीं। उन पर तरह तरह के लांछन लगे। सामजिक मान्यताओं के चलते इन नारियों को अपनाने को तैयार नहीं था। अब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया। ऐसी स्थिति में उन सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण को मानते हुए उन्हें पति रूप में स्वीकार किया। लेकिन श्रीकृष्ण उन्हें पत्नी के रूप में नहीं मानते थे।
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