मायावती को पूरा समर्थन चंद्रशेखर ने कहा कि अगर कांग्रेस दलितों का सम्मान करती है तो 2019 में गठबंधन का नेतृत्व बसपा सुप्रीमो मायावती को सौंपे। भीम आर्मी उनका समर्थन करती है। साथ ही उन्होंने मायावती से किसी भी तरह की शिकायत होने से इंकार किया है। चंद्रशेखर ने कहा वह बहुजन मूवमेंट से जुड़े हुए हैं। राजनीति चले न चले, सरकार बने न बने वह मूवमेंट नहीं रुकने देंगे। उनकी ओर से पिछले दिनों मायावती को तीन बार फोन भी किया गया लेकिन बात नहीं हो पाई। फिर भी वह अपने समाज से मायावती को पूरा समर्थन देने की अपील करते रहेंगे। चंद्रशेखर ने बताया कि उनका लक्ष्य देशभर में बीजेपी को हराना है। वह देश भर में घूम-घूम के बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेंगे।
अभी चुनाव नहीं लड़ूंगा चंद्रशेखर ने बताया कि वह फिलहाल चुनाव नहीं लडंगे। वह काशीराम के दिखाए हुए रास्ते पर चलना चाहते हैं। उनका संगठन कोई पॉलिटिकल पार्टी नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के संभावित गठबंधन पर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होगा तो भाजपा को हराने में कामयाबी मिलेगी। वहीं, शिवपाल सिंह यादव के अलग पार्टी बनाने पर उन्होंने कहा कि मेरी उनके साथ कभी मुलाकात हुई और न ही संबंध हैं। इसलिए उनका समर्थक करने का सवाल ही नहीं।
नाम से रावण हटाने का ये है कारण चंद्रशेखर आजाद ने अपने नाम से रावण शब्द हटा लिया है। जब इसका कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि ये उनका निजी फैसला , वह इस शब्द को भविष्य में इस्तेमाल करेंगे या नहीं इस पर बाद में विचार करेंगे लेकिन फिलहाल वह इस शब्द को अपने नाम से नहीं जोड़ते। फिलहाल उनका फोकस दलितों से जुड़े मुद्दों पर है। वह दलितों के सेवक के रूप में काम करना चाहते हैं। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह दलित हितैषी नहीं है। इसलिए वह दोनों पार्टियों का समर्थन नहीं करते।
राम मंदिर पर कही ये बात चंद्रशेखर ने राममंदिर मुद्दे पर कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं। कोर्ट जो फैसला दे उसे मानना चाहिए। कोर्ट से बड़ा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहां मंदिर बनाने की बात की जा रही है वहां पहले बौद्घ विहार था। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि अगर नाम ही बदलना है तो अयोध्या का नाम बदलकर साकेत कर देना चाहिए।