होटल-स्कूल के नाम पर भी खरीदी जमीनें
उत्तराखंड से बाहर के ऐसे लोग, जिन्होंने उद्योग, स्कूल, होटल, कालेज, अस्पताल समेत दूसरे प्रयोजनों के लिए मंजूरी लेकर जमीन खरीदी है, उनका भी ब्यौरा राजस्व परिषद को उपलब्ध कराना होगा। तय प्रयोजनों के अनुरूप भूमि को विकसित न करने और भूमि का प्रयाग नहीं करने वालों की भी जमीनों को सरकार में निहित किया जाएगा। राज्य गठन के बाद तमाम लोगों ने कारोबार और अन्य विकास कार्यों के नाम पर जमीनों की खरीद की मंजूरी लेकर जमीनों को डंप कर लैंड बैंक तैयार कर दिया। अब नियम विरुद्ध तैयार किए गए इस लैंड बैंक पर सरकार की नजर है। ये भी पढ़ें:-
सेना की इंसास राइफल और कारतूस लेकर भागा जवान, गेमिंग एप से हो गया था कंगाल तीन बिंदुओं में देनी है रिपोर्ट
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। पहले ये बताना है कि उनके जिले में राज्य से बाहर के कितने लोगों ने 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदी है। इसके साथ ही राज्य से बाहर के लोगों ने जो 250 वर्ग मीटर तक जमीन खरीदी है, उसमें ये देखना है कि एक ही परिवार के कितने लोगों ने अलग-अलग भूमि की खरीद की। नियम विरुद्ध हुई खरीद से जुड़े मामलों में जिलाधिकारियों को कार्रवाई के रूप में नोटिस जारी करने होंगे। उसके साथ ही इस प्रकार की जमीनों को सरकार में निहित करने की कार्रवाई भी शुरू करनी होगी।
12.5 एकड़ से अधिक की खरीद पर भी नजर
पूर्व में त्रिवेंद्र सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट से पहले भू-कानून में बड़ा बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद जो लोग उद्योग, होटल, रिजॉर्ट, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल निर्माण को 12.5 एकड़ से अधिक जमीन खरीदना चाहते हैं, उन्हें भी मंजूरी देने का प्रावधान किया गया था। इस नए प्रावधान को लेकर शिकायतें रहीं कि कुछ लोगों ने मंजूरी का लाभ उठाकर बड़ा लैंड बैंक तैयार कर लिया है। जमीन लेने के बाद कोई काम नहीं किया। मुख्य सचिव ने ऐसी जमीनों का जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर ब्योरा मांगा है।