देस्त भी, भाई भी और पिता भी राजनीति में सभासद से सांसद तक का सफर तय करने वाले लालजी टंडन के जीवन पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का काफी असर रहा। लालजी टंडन अटल बिहारी वाजपेयी को अपना दोस्त तो मानते ही थे। साथी ही उन्हें अपना भाई और पिता भी मानते थे। अटल जी के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा है।
ऐसे हुई थी शुरूआत 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में जन्मे लालजी टंडन का विवाह कृष्णा टंडन से 1958 में हुआ। अपने शुरूआती करियर में लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयंस्वक संघ से जुड़े हैं। इस दौरान वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपर्क में आए। यहीं से दोनों की दोस्ती की शुरूआत हुई और इनका साथ 5 दशकों तक साथ चला।
अटल जी के साथ लालजी टंडन की यादों के कुछ पल अटल जी के बारे में लालजी टंडन ने बताया कि उन्हें लखनऊ से बहुत लगाव था। खासकर वे पुराने लखनऊ को बहुत पसंद करते थे। यहां के चौक पर वे मिलने वाली लस्सी और ठंडई बड़े चाव से पीते थे। चौक में उस वक्त राजा की ठंढई मशहूर थी जिसे रानाधर पंडित जी दुकान लगाते थे। उन्हीं के यहां वो ज्यादातर बैठकर लस्सी और ठंढई पीते थे।
अटल जी और लालजी टंडन के साथ में कई किस्से हैं जिनमें से कुछ किस्से अटल जी की महानता को दर्शाते हैं। जब अटल जी लखनऊ के सांसद थे, तब उस दौरान वे मीराबाई गेस्ट हाउस में रुका करते थे। उस वक्त तत्कालीन डीएम ने अटल जी को बताया कि अमौसी एयरपोर्ट पर एक युवक ने विमान हाईजैक कर लिया है। वह अटलजी से मिलने की जिद कर रहा है। अटल जी तब खाना खा रहे थे और ये बात सुनते ही उन्होंने अपना खाना आधे में छोड़ उस लड़के से मिलने चले गए। तब उनके साथ कार में लालजी टंडन, राज्यपाल के सलाहकार और डीएम थे। अटलजी को अपने सामने देख उस युवक ने बम फेंका और अटलजी का पैर छुआ।
अटल की खड़ाऊं लेकर जीता चुनाव पुरानी यादों को शेयर करते हुए लालजी टंडन ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के सन्यास लेने के बाद जब 2009 में लोकसभा चुनाव के लिये उन्हें लखनऊ से टिकट मिला। वह सबसे पहले अटल जी से मिले और फिर चुनाव प्रचार में जुट गये। उन्होंने कहा कि जनता के बीच मैंने यही प्रचार किया था कि मैं अटल जी की खड़ाऊं लेकर आया हूं। उस चुनाव में उन्हें लालजी टंडन को जीत हासिल हुई थी।