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किसानों से बायोगैस कंपनियां खरीदेंगी पराली, गेहूं से आधी ये होगी कीमत

अब किसानों को पराली से भी कमाई का जरिया मिलेगा। जलाने के बजाए बायोगैस कंपनिया पराली खरीदेंगी।

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लखनऊ

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Snigdha Singh

May 06, 2022

Biogas Companies Purchase wheat Straw From Framers in Uttar Pradesh

Biogas Companies Purchase wheat Straw From Framers in Uttar Pradesh

अब के समय में किसान गेहूं काटकर पराली जला देते हैं। इससे प्रदूषण बढ़ने के साथ जमीन भी खरीब होती है। लेकिन अब बायोगैस कंपनियां किसानों से पराली को खरीदेंगी। उससे बायोगैस बनाकर कोयले की बचत की जा सकती है। इसलिए किसान बायोगैस बनाने वाली कंपनियों को पराली को बेचकर लाभ कमा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों से पराली खरीदकर गुजरात और दिल्ली ले जाकर बायोगैस बनाएंगे।

सीएसए के प्रसार निदेशालय में विद्युत मंत्रालय की ओर से ताप विद्युत संयंत्रों में बॉयोमास के उपयोग विषय पर कार्यक्रम हुआ। जिसमें कानपुर नगर व कानपुर देहात के किसानों ने हिस्सा लिया। नई दिल्ली से आए क्षितिज जैन ने बताया कि मंत्रालय की ओर से पराली न जलाने को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विवि के धनंजय सिंह ने फसल अवशेषों को जलाने के दुष्प्रभाव के विषय में विस्तार से जानकारी दी। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के मुख्य अभियंता संजीव कुमार कस्सी ने वर्चुअल माध्यम से किसानों को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि किसानों से कंपनियां संपर्क करेंगी। खेत से पराली कोयले के संकट में कोयले बचाएंगी। इससे प्रदूषण कम होगा।

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बीघे के हिसाब के बिकती है पराली

उन्होंने बताया कि पराली बीघे के हिसाब से खरीदी जाती है। जिस तरह से गेहूं और भूसे की कीमत होती है, उसी तरह से पराली की कीमत लगती है। 3000 हजार रुपए से लेकर 5000 रुपए बीघे तक पराली खरीदी जाती है। बस इतना ध्यान देना चाहिए कि पराली खराब न हुई हो।

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पराली से तैयार होते हैं पत्थर

उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट की एनुअल मीटि में शामिल हुए दिल्ली के प्रोफेसर ने बताया कि नई तकनीत विकसित गई है। जिससे पराली से पत्थर तैयार किए जा रहे हैं। पराली ही नहीं बल्कि घास-फूस के इस्तेमाल से टाइल तैयार होगा। टाइल की जिंदगी भी उतनी ही रहेगी। कोई बदलाव नहीं होगा।