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नरेश अग्रवाल के बारे में वे पांच बड़ी बातें जिनको जान कर आप हो जाएंगे हैरान

locationलखनऊPublished: Mar 12, 2018 05:33:22 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

कहा जाता है कि हरदोई जिले की पांच विधानसभा सीटों पर वही दल जीतता रहा है जिधर नरेश अग्रवाल का इशारा होता था।
 

 naresh agarwal

लखनऊ. राज्यसभा में पिछले पांच सालों से सपा की मुखर आवाज रहे सांसद नरेश अग्रवाल ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। उन्होंने नई दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली पहले ही दिन पार्टी का कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने घोषणा की कि उनका विधायक बेटा नितिन अग्रवाल राज्यसभा के चुनाव में निर्दलियों का साथ देगा और एक मुश्त निर्दलीयों का वोट भाजपा के पक्ष में जाएगा। नरेश अग्रवाल के इस बयान को देखा जाए तो यह उनके चरित्र के अनुरूप है। उनकी शख्सियत के बारे में हम बता रहे हैं वो पांच बातें जिनके बारे में आप अभी तक अनजान होंगे।

हरदोई के बाहुबली हैं नरेश अग्रवाल
नरेश अग्रवाल के बारे में कहा जाता है कि हरदोई जिले की पांच विधानसभा सीटों पर वही दल जीतता रहा है जिधर नरेश अग्रवाल का इशारा होता था। खुद लोकसभा से लेकर विधानसभा की सीटों पर नरेश अग्रवाल की ही चलती है, एक तरह से इन्हें हरदोई का बाहुबली कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

दलबदलू रहा है चरित्र
नरेश अग्रवाल का अब तक कार राजनीतिक इतिहास यही रहा है कि जिसकी सत्ता रही है उसके साथी। अब तक की राजनीतिक सफर में वे जनता पार्टी, जनता दल, बसपा, भाजपा, कांग्रेस में ये रह चुके हैं। यानी जिस दल की सत्ता उसके घोड़े पर सवार हो गए।

राजनीतिक पावर ब्रोकर
नरेश अग्रवाल की यह खुबी है कि किसी एक दल में रहते हुए भी ठाकुर अमर सिंह की तरह अन्य दलों से भी इनका राजनीतिक जुड़ाव बना रहता है। अन्य राजनीतिक दलों की संबंध की वजह से यूपी के ये बड़ पालिटिकल पावर ब्रोकर माने जाते रहे हैं।

विवादित बोल के लिए चर्चित
नरेश अग्रवाल अपने विवादित बयानों के लिए हमेशा चर्चित रहे हैं चाहे जिस भी दल में वे रहे हों कुछ न कुछ ऐसा बोलते रहे हैं कि पार्टी खुद असहज स्थिति में आती रही है। सपा जब अपने नाजुक दौर में चल रही थी उस समय इन्होंने आजम खां से लगे पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भी गलत बयानी की थी। वे कहते रहे हैं दल बदलिए लेकिन दिल नहीं।

थैलीशाह राजनेता की पहचान
नरेश अग्रवाल की पहचान धनी और जाने माने व्यवसायी की रही है। अमर सिंह की ही तरह कोई बड़ी औद्योगिक प्रतिष्ठान नहीं है, लेकिन ये हर पार्टी के लिए भामाशाह बन जाते हैं। जिस भी पार्टी में रहते हैं पार्टी को मोटा चंदा दिलाते रहे हैं। चाहे सपा की बात हो या बसपा की। ये हर जगह पार्टी के बड़े धन कुबेरों में गिने जाते हैं।

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