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भाजपा इन चेहरों को लोकसभा का देने जा रही है टिकट, इन सांसदों का होगा पत्ता साफ

locationलखनऊPublished: Aug 15, 2018 04:09:45 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

देवरिया से शलभ मणि, कानपुर से पंकज सिंह समेत कई नए चेहरों पर पार्टी लगा सकती है दांव।
 

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भाजपा इन चेहरों को लोकसभा का देने जा रही है टिकट, इन सांसदों का होगा पत्ता साफ

लखनऊ. भाजपा कई नए चेहरों को लोकसभा टिकट दे सकती है। वहीं कई मौजूदा सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। देवरिया, कानपुर और बहराइच सहित कई सीटों पर भाजपा नए और युवा चेहरों को इस बार टिकट दे सकती है। पार्टी उन सांसदों पर दांव नहीं लगाना चाहती है जिनके कारण पार्टी को काफी किरकिरी झेलने पड़ी थी तो वहीं कई बुजर्ग सांसदों को भी इस बार टिकट नहीं देने की बात कही जा रही है। पार्टी युवा चेहरों और संगठन के कुछ लोगों को इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है।
सूत्रों की मानें तो देवरिया से वर्तमान सांसद कलराज मिश्रा की जगह भाजपा प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी, कानपुर से वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी की जगह नोएडा से विधायक पंकज सिंह, बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले, बाराबंकी की सांसद प्रियंका रावत समेत कई अन्य सीटों पर पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है।
कई नामों की चर्चा जोरों पर है
भाजपा के कई वर्तमान सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। इनकी जगह पार्टी युवा चेहरों को चुनाव लड़ा सकती है। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी अपने उन सांसदों को टिकट नहीं देगी जिनका परफार्मेंस खराब रहा है। बीजेपी के मौजूदा सांसदों में बीस अधिक सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। वहीं इन सीटों पर कई नामों की चर्चा जोरों पर है जिनमें कुछ जैसे देवरिया से कलराज मिश्रा की जगह पार्टी शलभ मणि त्रिपाठी को, कानपुर से मुरली मनोहर जोशी की जगह राजनाथ सिंह के बेटे और नोएडा से विधायक पंकज सिंह व बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले की जगह किसी नए चेहरे को टिकट दिया जा सकता है।
बसपा या सपा का दामन थाम सकते हैं
पिछले दिनों पार्टी के कई दलित सांसदों ने पार्टी के खिलाफ बगावती सुर बुलंद किए थे। अब भाजपा इन सांसदों को भी बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इन सांसदों पर पार्टी जहां भरोसा नहीं करना चाहती है तो वहीं ऐसी भी चर्चा है कि ये सांसद भी पाला बदल सकते हैं और बसपा या सपा का दामन थाम सकते हैं।
आसान नहीं हो 2014 का प्रदर्शन दोहराना
भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों में से 73 सीटों पर अपनी जीत का परचम लहराया था। इस बार यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन हो जाने से भाजपा की राह आसान नहीं रह गई है। पिछले दिनों हुए लोकसभा उप चुनाव में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार से जहां भाजपा चिंतित है तो वहीं गठबंधन के हौसले इस जीत के बाद बुलंद हैं।
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