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सामाजिक सम्मेलनों से महागठबंधन का गणित बिगाड़ेगी बीजेपी !

locationलखनऊPublished: Aug 08, 2018 04:14:49 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

पार्टी हर जाति का करने जा रही है सम्मेलन, सीएम बताएंगे उस जाती के बारे में क्या किया बीजेपी सरकार ने।
 

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सामाजिक सम्मेलनों से महागठबंधन का गणित बिगाड़ेगी बीजेपी !

लखनऊ. यूपी में जीत के लिए जातीय समीकरण काफी अहम माना जाता है। हर पार्टी जातीय समीकरण साधने में जुटी है क्योंकि सबको पता है कि विकास की बातें चाहे जितनी कर लें यूपी में जीत के लिए जातीय समीकरणों को साधना सबसे जरूरी है। लेकिन इसमें बीजेपी सबसे आगे निकल चुकी है। बीजेपी 2019 के लिए अपनी रणनीति बना रही है। बीजेपी ने 2014 की तरह इस बार भी लोकसभा में प्रचंड जीत को दोहराना चाहती है। बीजेपी वह रणनीति बना रही है जिससे हर जाति और वर्ग के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके।
बीजेपी सामाजिक सम्मेलनों के जरिए चुनावी बिसात बिछाने की जुगाड़ में जुट गई है। इसके लिए बकायदा प्लान भी तैयार कर लिया गया है। इसकी शुरूआत भी पार्टी ने मंगलवार को प्रजापति सम्मेलन के आयोजन के साथ कर दी। वहीं, बुधवार को राजभर समाज का सम्मेलन आयोजित किया गया। पार्टी की योजना पिछड़ों के साथ दलितों के सम्मेलन की भी है। भाजपा की रणनीति हर वर्ग को अपने साथ जोडऩे की है। भाजपा महागठबंधन को मात देने के लिए पिछड़े व दलित वर्ग पर अपना ध्यान फोकस कर रखा है। यूपी में दलितों का वोट २५ प्रतिशत है तो वहीं पिछड़ वर्ग का वोट 35 प्रतिशत है। अगर इसमें से पचास प्रतिशत वोट भी बीजेपी अपने पाले में करने में सफल रही तो यूपी से लोकसभा की 80 सीटों में 60 से 70 सीटें उसकी झोली में आसानी से आ सकती हैं।
बीजेपी गुरुवार को नाई, सविता, ठाकुर और सेन जातियों के प्रतिनिधियों का सम्मेलन राजधानी लखनऊ में आयोजित करेगी। मेरठ में 11 व 12 अगस्त को पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक है। उसके बाद फिर से सम्मेलनों का सिलसिला शुरू होगा।
25 अगस्त को निषाद, कश्यप, बिंद, केवट, कहार जातियों के साथ भुर्जी, भड़भूजा, कांदू, कसौधन जाति का सम्मेलन होगा। पार्टी के मुताबिक प्रदेश स्तर पर इन सम्मेलनों को करने के बाद लोकसभा और विधानसभा के सभी क्षेत्रों में भी इसी तरह के सम्मेलन शुरू किए जाएंगे। पार्टी की रणनीति के मुताबिक पिछड़ों के साथ दलितों के भी अलग-अलग तबकों के सम्मेलन की योजना है।
फोकस खेतिहर और पेशेवर दोनों पर
बीजेपी की नजर सामान्य वर्ग के उन लोगों पर भी है जो अलग-अलग पेशे से जुड़े हैं। इन लोगों के लिए पार्टी सम्मेलन करने की तैयारी में है। बतादें कि भाजपा के रणनीतिकारों ने लोकसभा चुनाव के लिए अभी से ऐसी रणनीति बनानी शुरू कर दी है कि चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के मोहरे भाजपाई समीकरण को मात न दे सकें। इसी कारण है कि भाजपा खेतिहर और पेशेवर दोनों प्रकार की जातियों पर अपना यही वजह है कि बीजेपी ने खेतिहर और पेशेवर दोनों प्रकार की जातियों पर फोकस किया है।
हर जाति के करीब 400 लोग जुट रहे

राजधानी में हो रहे सम्मेलनों में संबंधित जाति के बीजेपी के सांगठनिक जिलों से पांच-पांच प्रतिनिधि भी बुलाए जा रहे हैं। पार्टी ने संगठन के कामकाज के लिहाज से यूपी को 92 जिला और महानगरों में बांट रखा है। इस तरह से हर सम्मेलन में उस जाति के करीब 400 लोग जुटेंगे। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि इस सम्मेलनों में सीएम योगी आदित्यनाथ खुद उस समाज के लिए किए गए काम को बताएंगे। वहीं पिछड़ों में प्रभावी संदेश देने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को इन सम्मेलनों का प्रभारी बनाया गया है। केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में पिछड़े वर्ग को भाजपा से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
…तो समझो जीत पक्की
इस बार बीजेपी पिछड़ी जातियों के सहारे अपनी नैया पार लगाने में जुट गई है। अगर पिछड़ी जातीयों को साधने में बीजेपी सफल रही तो उसकी 2019 में लोकसभा की राह आसान हो जाएगी। अगर पिछड़ी जाति के वोट बैंक पर नजर डालें तो यह कुल 35 प्रतिशत हैं, जिसमें 13 फीसदी यादव, 12 फीसदी कुर्मी और 10 फीसदी अन्य जातियों के लोग आते हैं। बीजेपी के पास अगड़ी जातियों का समर्थन तो है ही साथ ही पिछड़ी जातीयों का अगर उन्हें ५० प्रतिशत वोट भी मिल गया तो उनकी लोकसभा २०१९ की लड़ाई आसानी से पार हो जाएगी।
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