इस मौके पर मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने क्षत्रिय समाज से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए स्लोग (बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ) को आत्मसात करने का आह्वïन किया। मोती सिंह ने कहा कि बेटियां हमारी धरोहर हैं और बेटियों के मान-सम्मान के लिए हमें काम करना चाहिए। इस मौके पर मंत्री मोती सिंह ने क्षत्रीय समााज से संकल्प लेने का आह़वन किया कि हम सभी अपने बच्चों को दहेज रहित विवाह करेंगे। इस मौके पर मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रत्येक क्षत्रिय महाराणा प्रताप के पद चिन्हों पर चल कर समाज का उत्थान कर सकता है।
उन्होंने कहा कि अनुशासन और चरित्र के माध्यम से हर जंग जीती जा सकती है। इसके लिए अनुशासन को अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंग बनाना चाहिए और महाराणाा प्रताप की तरह अपना जीवन देश और समाज के लिए समर्पित कर देना चाहिए।
इनका हुआ सम्मान कार्यक्रम के दौरान मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह व मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह एवं सूचना आयुक्त सुभाष सिंह तथा जूही सिंह ने जिन विभूतियों को सम्मानित किया उनमें प्रमुख रूप से जस्टिस आलोक कुमार सिंह, जस्टिस रणविजय सिंह, डॉ सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, रामरति देवी, डॉ. जयप्रकाश सिंह, डॉ अंजना सिंह, शेर बहादुर सिंह, सुरेश सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह राजू, डॉक्टर आशा लता सिंह, भगवान सिंह रावत, डॉ. शशि सिंह, पूर्व आईपीएस शैलेंद्र प्रताप सिंह, रामपाल सिंह, डॉक्टर महादेव सिंह, राज किशोर सिंह, मोहन सिंह बिष्ट, हरिश्चंद्र सिंह, इंजीनियर विद्यासागर सिंह, बृजेश कुमार सिंह, फूलमती सिंह, पत्रकार शिव शरन सिंह, बद्री प्रसाद सिंह, अंजली सिंह, डॉ रघुवीर सिंह रावत, हरगोविंद सिंह, डॉ. उर्मिला सिंह, डॉ शुभकरण सिंह चौहान, इंजीनियर पशुपति सिंह, निशा सिंह, बलबीर सिंह, मनोज कुमार सिंह एवं एसपी सिंह सम्मानित किए गए। सम्मान पाने वालों को स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र व प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महासमिति के अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने कहा कि क्षत्रिय समाज को विषम परिस्थितियों से उबारने के लिए बहुत बड़े प्रयास की जरूरत है ।
ऐसी दशा में इस संगठन की जिम्मेदारी है कि वह युवाओं में आगे बढऩे की इच्छा जागृत करें और उन्हें हर स्तर पर मजबूत बनाने का प्रयास करें । महासमिति की महासचिव इंद्रासन सिंह इंदू ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहां की महासमिति की स्थापना 18 अक्टूबर 2007 को हुई थी । तभी से निरंतर सदस्यों की संख्या बढ़ती जा रही है और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को जागृत करने की दिशा में संगठन के सभी सदस्य अपना सहयोग दे रहे हैं। इस अवसर पर तेजस्विता स्मारिका का विमोचन किया गया।