वसीम रिजवी ने किया इनकार हालांकि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी भी बुक्कल नवाब के इस्तीफे के ऐलान के बाद सामने आए। वसीम रिजवी ने साफ किया कि मजहर अली खान उर्फ बुक्कल नवाब तो शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं ही नहीं। वसीम रिजवी ने बताया कि जो वक्फ अधिनियम है उसके मुताबिक
mlc कोटे से बोर्ड का कोई भी सदस्य 5 साल के लिए ही चुना जाता है। उन्होंने बताया कि अगर वह सदस्य बोर्ड में अपने कार्यकाल के दौरान MLC नहीं रहता या इस्तीफा देता है तो वक्फ बोर्ड से उसकी सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है।
बुक्कल नवाब की सदस्यता पहले ही हुई खत्म आपको बता दें कि बुक्कल नवाब 28 मई 2015 को उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य चुने गए थे। इसके बाद बुक्कल ने 27 जुलाई 2017 को समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। वसीम रिजवी ने बुक्कल नवाब के उसी इस्तीफे का हवाला देते हुए कहा कि उनकी शिया वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी सपा के एमएलसी के तौर पर इस्तीफा देने के बाद ही खत्म हो गई थी।
सरकार जल्द भरे पद वसीम रिजवी ने कहा कि शासन की तरफ से बुक्कल नवाब के दोबारा विधान परिषद सदस्य चुने जाने की कोई सूचना बोर्ड को नहीं दी गई। जिसको चलते बुक्कल नवाब उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। वसीम रिजवी ने बुक्कल नवाब पर आरोप लगाया कि उन्होंने पत्र के जरिये शिया वक्फ बोर्ड से इस्तीफा इस डर से दिया गया है कि कहीं उन्हें सदस्य समझकर उनके साथ भी मॉब लिंचिंग की कोई घटना न हो जाए। इसके साथ ही रिजवी ने प्रदेश की योगी सरकार से मांग की है कि बुक्कल नवाब की जगह किसी और को सदस्य के पद पर तैनात किया जाए।