प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चन्द्रमोहन ने कहा कि आज अखिलेश यादव की राजनीति में जो हैसियत है, वह इनके पिता और चाचा की बदौलत ही है जिन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना कर उसे आगे बढ़ाया। अखिलेश ने पहले तो अपने पिता से पार्टी का नेतृत्व छीना और अब उनकी घोर उपेक्षा भी कर रहे हैं। अपने पुत्र की कारगुजारियों से बेहद दुखी होकर मुलायम सिंह यादव जी को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा कि आज उनका कोई सम्मान नहीं करता, शायद मरने के बाद करे। इस बयान से ही साबित हो जाता है कि मुलायम सिंह जी किस पीड़ा से गुजर रहे हैं। मुलायम सिंह ही अखिलेश को राजनीति मे लाए थे, और पार्टी में तमाम बड़े नेताओं को किनारे करके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया।
प्रदेश प्रवक्ता के मुताबिक भाजपा विरोधी गठबंधन करने के लिए अखिलेख जी ने बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय नेता सुश्री मायावती जी के सामने समर्पण कर दिया है। बसपा के शासनकाल में मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने सपा के समर्थकों पर काफी जुल्म ढाए थे। इसी जुल्म का विरोध करने के लिए मुलायम सिंह को सपा कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरना पड़ा था। अखिलेश यादव ने भी अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान अपनी कथित नाकामियों का ठीकरा मायावती सरकार पर ही फोड़ा था। अखिलेश यादव अपने पिता और चाचा को हाशिए पर ढकेलकर मायावती के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं। इसके बावजूद मायावती भी अखिलेश को गंभीरता से नहीं ले रही है।