प्रदेश प्रवक्ता के मुताबिक, मुगलसरांय जंक्शन से दीनदयाल जी की स्मृतियां जुड़ी है। डॉ. पाण्डेय ने अन्त्योदय प्रणेता के नाम पर जंक्शन के नामांतरण का अथक प्रयास किया। तत्कालीन अखिलेश सरकार ने प्रस्ताव प्राप्त होने के बावजूद उसे स्वीकृति नहीं दी। समय ने करवट ली आज देश और प्रदेश में अन्त्योदय प्रणेता की पथगामी सरकार है।
राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सुविधाओं और संसाधनों को गांव-गरीब, तक पहुंचाने का राजनीतिक सिद्धान्त प्रतिपादित करने वाले पं0 दीन दयाल उपाध्याय की स्मृति को स्वयं में समेटे हुए मुगलसरांय जंक्शन अब दीन दयाल जी के नाम से जाना जाएगा। यह अन्त्योदय विचार के प्रति श्रद्धा का भाव है और विकास के दौर में पीछे खड़े व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का संकल्प है।
पिछले साल शुरू हुई थी कवायद
बता दें कि 1862 में बने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने की कवायद पिछले साल ही शुरू हो गई थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का सुझाव केंद्र के पास भेजा था जिसे बाद में केंद्र ने स्वीकार कर लिया। 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर ही दीन दयाल मृत अवस्था में पाए गए थे। हालांकि नाम बदलने को लेकर तब काफी विरोध-प्रदर्शन हुआ था। इससे पहले केंद्र और राज्य सरकार कई बड़ी योजनाओं को दीन दयाल उपाध्याय के नाम से घोषित कर चुकी है या चला रही है। दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना समते कई बड़ी योजनाएं हैं।
बता दें कि 1862 में बने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने की कवायद पिछले साल ही शुरू हो गई थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का सुझाव केंद्र के पास भेजा था जिसे बाद में केंद्र ने स्वीकार कर लिया। 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर ही दीन दयाल मृत अवस्था में पाए गए थे। हालांकि नाम बदलने को लेकर तब काफी विरोध-प्रदर्शन हुआ था। इससे पहले केंद्र और राज्य सरकार कई बड़ी योजनाओं को दीन दयाल उपाध्याय के नाम से घोषित कर चुकी है या चला रही है। दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना समते कई बड़ी योजनाएं हैं।