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कभी इनके एक इशारे पर बीजेपी में हो जाता था बड़े से बड़ा फेरबदल, अब खुद नेपथ्य में हैं राममंदिर आंदोलन के प्रणेता

locationलखनऊPublished: Mar 23, 2019 06:50:39 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

पिछले तीन दशक में यह पहला आम चुनाव है जिसमें देश की राजनीति में राममंदिर कोई प्रभावी मुद्दा नहीं है… जानें- क्यों

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कभी इनके एक इशारे पर बीजेपी में हो जाता था बड़ा फेरबदल, अब नेपथ्य में राममंदिर आंदोलन के प्रणेता

पत्रिका इंडेप्थ स्टोरी
महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. वक्त के साथ चीजें बदल जाती हैं। अयोध्या में राममंदिर को लेकर लगता है कुछ ऐसा ही है। पिछले तीन दशक में यह पहला आम चुनाव है जिसमें देश की राजनीति में राममंदिर कोई प्रभावी मुद्दा नहीं है। भाजपा समेत अन्य प्रमुख राजनीतिक दल जहां इस मुद्दे पर बात करने से बच रहे हैं वहीं मतदाताओं में भी इसको लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। खास बात तो यह है कि इस लोकसभा चुनाव में राममंदिर के साथ ही राममंदिर आंदोलन के प्रेणता भी राजनीति के नेपथ्य में हैं।
गौरतलब है कि सीबीआई की चार्जशीट में बाबरी मस्जिद ढहाने के सूत्रधारों में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमाभारती आदि के नाम शामिल थे। वरिष्ठ भाजपा नेता और रथ यात्रा के सूत्रधार लाल कृष्ण आडवाणी का टिकट भाजपा ने काट दिया है। कानपुर से सांसद मुरली मनोहर जोशी को टिकट मिलने की संभावना बहुत कम है। झांसी से सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती 18 माह की तीर्थ यात्रा पर निकलने की बात कहकर चुनाव न लड़ने की बात कर रही हैं। बजरंग दल के नेता और राममंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार विनय कटियार के भी चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर है। इसी तरह राममंदिर आंदोलन के समय उप्र के प्रमुख नेता रहे कल्याण सिंह अब राजस्थान के राज्यपाल हैं। और आरएसएस व उप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सांसद कलराज मिश्र भी चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।
uma bharti

उमा भारती जाएंगी तीर्थयात्रा पर
केंद्रीय मंत्री उमा भारती मौजूदा समय में झांसी से सांसद हैं। राममंदिर आंदोलन के समय ओजस्वी वक्ता रहीं उमा भारती भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। टिकट कटने की आशंका कहें या फिर चुनावी चाल। उन्होंने एलान किया है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी मई से 18 माह तक तीर्थयात्रा पर जाने की योजना है। हालांकि उनका कहना है कि वह पांच मई तक पार्टी के लिए प्रचार करेंगी। उमा का कहना है कि उन्होंने 2016 में ही तय कर लिया था कि वह इस बार आम चुनाव चुनाव नहीं लड़ेंगी। वे इस साल गंगा के तटों पर बसे तीर्थस्थानों की यात्रा पर निकलेंगी। हालांकि उन्होंने 2024 का चुनाव लडऩे की इच्छा जतायी है।
murli manohar joshi
जोशी को टिकट की उम्मीद कम
मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के बाद भारतीय जनता पार्टी के दूसरे बड़े नेता हैं जो राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढकऱ हिसा लेते रहे हैं। जोशी छह दिसंबर को विवादित परिसर में मौजूद थे। मस्जिद का गुम्बद गिरने पर उमा भारती आडवाणी और डॉ. जोशी के गले मिल रही थीं। विवादित ढांचा ढहने के बाद भी मुरली मनोहर जोशी राममंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चलाते रहे हैं। कई बार के सांसद मुरली मनोहर जोशी वर्तमान में कानपुर से सांसद हैं। लेकिन, माना जा रहा है कि इस बार भाजपा इनको उम्मीदवार नहीं बनाने जा रही है।
vinay katiyar
कटियार की चर्चा तक नहीं
भाजपा के फायर ब्रैंड नेता और बजरंग दल के नेता रहे विनय कटियार 2014 का चुनाव फैजाबाद सीट से लडऩा चाहते थे। लेकिन, पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। जबकि इसके पहले वह अयोध्या से सांसद रह चुके थे। 2014 में विनय कटियार को टिकट नहीं मिला। वह राज्यसभा से रिटायर हो गए तब उन्हें दोबारा राज्यसभा भी नहीं भेजा गया। अब चुनावी बेला में उनके फिर से उम्मीदवार होने की चर्चा तक नहीं हो रही। जबकि, फैजाबाद सीट का रिश्ता राम मंदिर से है और बजरंग दल के संस्थापक के रूप में विनय कटियार का राम मंदिर आंदोलन से गहरा रिश्ता भी है।
lalkrishna advani,
आडवाणी की जगह अमित शाह
91 वर्षीय भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद गिराने के ‘षड्यंत्र’ के मुख्य सूत्रधार थे। इसके बाद रथयात्रा निकालकर आडवाणी ने देशभर में राममंदिर निर्माण का माहौल बनाया था। इन्होंने विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त करने का अभियान चलाया और सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा भी की। लेकिन, इस बार इन्हें गुजरात के गांधीनगर से टिकट नहीं मिला है। इनकी जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह वहां से चुनाव लड़ेंगे।
Kalraj Mishra
कलराज चुनाव नहीं लड़ेंगे
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और देवरिया से सांसद कलराज मिश्रा भी इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने खुद इसकी घोषणा की है। माना जा रहा है कि 77 साल से अधिक उम्र होने के कारण कलराज मिश्रा को चुनाव लड़ाने की जगह अन्य तरह की जिम्मेदारियां दी जाएंगी। कलराज ने 2017 में मोदी कैबिनेट से लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि राममंदिर आंदोलन से प्रत्यक्ष तौर पर कलराज मिश्र जुड़े नहीं थे। लेकिन जब वह उप्र भाजपा के अध्यक्ष थे तब राममंदिर आंदोलन के लिए इन्होंने बहुत काम किया था।

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