नई सूची के मुताबिक तरुण चुग को जम्मू कश्मीर, लद्दाख और तेलंगाना का प्रभारी नियुक्त किया गया है। नलिन कोहली को नागालैंड का प्रभारी नियुक्त किया गया है। अरुण सिंह को कर्नाटक का नया प्रभारी बनाया गया है। भाजपा सरकार ने दिल्ली बीजेपी के नेता और हरियाणा से राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम को उत्तराखंड, पंजाब और चंडीगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं वी मुरलीधरन को आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। महाराष्ट्र बीजेपी के नेता विनोद तावड़े को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है। असम से बीजेपी के नेता दिलीप सैकिया को अरुणाचल प्रदेश और झारखंड का प्रभारी बनाया गया है।
योगी के मंत्रिमंडल में पांच-छह नए चेहरों की हो सकती है ताजपोशी
भाजपा सरकार की नजर अब यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में 2017 वाली बंपर जीत दोहराने पर है। प्रदेश में संगठन और सरकार में समायोजन करते हुए नए चेहरों को शामिल किए जाने की चर्चा तेज हो गई है। योगी के मंत्रिमंडल में 6 पद खाली हैं जिन पर पांच छह नए चेहरों की ताजपोशी हो सकती है। संभव यह है भी है कि मौजूदा मंत्रियों में से भी किसी की विदाई हो जाए। यूपी में आठ विधानसभा सीटें खाली हुई जिनमें से सात पर उपचुनाव हुए और 6 पर भाजपा ने जीत दोहराई है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी अपने मंत्रिमंडल में विस्तार कर सकते हैं क्योंकि अभी छह मंत्रियों की जगह खाली है, इनमें चार पहले से रिक्त थे जबकि दो जगह कैबिनेट मंत्री रहे चेतन चौहान और कमला रानी वरुण के निधन से खाली हो गई। कुछ नए चेहरों का समायोजन जातीय समीकरण को देखते हुए किए जाने की तैयारी है माना यही जा रहा है कि प्राथमिकता दलित और पिछड़ों को दी जाएगी।
उम्रदराज मंत्रियों को आराम दिए जाने के है आसार
पिछले वर्ष 19 अगस्त को मंत्रिमंडल में विस्तार करते हुए 18 नए मंत्री शामिल किए गए थे। कई मंत्रियों को हटाया गया था वर्तमान में कुल 54 मंत्री हैं, जिनमें 23 कैबिनेट 9 स्वतंत्र प्रभार और 22 राज्यमंत्री हैं। संभावना है कि इनमें से जिन मंत्रियों के नाम विवादों में आए हैं या किसी भी प्रकार की शिकायत है उन्हें किनारे कर दिया जाए उम्रदराज मंत्रियों को आराम दिए जाने के भी आसार हैं। इनके स्थान पर ऊर्जावान युवा चेहरों की तरजीह दी जा सकती है। इसके साथ ही सरकार और संगठन के सामने विधान परिषद चुनाव पंचायत चुनाव और 2022 में विधानसभा चुनाव में जातिगत प्रभाव रखने के लिए विधायकों को संगठन में भी समायोजित किया जाएगा। मोर्चा और प्रकोष्ठों के पद अभी खाली है इसलिए रास्ते खुले हुए हैं।