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भाजपा फसलों की एमएसपी को ‘यूएसपी’ बनाने की कर रही तैयारी, जानें क्या USP

locationलखनऊPublished: Jul 05, 2018 06:44:44 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

भाजपा सरकार अब फसलों की एमएसपी को ‘यूएसपी’ (unique selling price) बनाने की तैयारी में जुट गई है।

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भाजपा फसलों की एमएसपी को ‘यूएसपी’ बनाने की कर रही तैयारी, जानें क्या USP

लखनऊ : भाजपा सरकार अब फसलों की एमएसपी को ‘यूएसपी’ (unique selling price) बनाने की तैयारी में जुट गई है। सरकार का योजनाओं और प्रोत्साहन का मुंह गांव-किसानों की ओर मोड़कर मोदी सरकार ‘किसान विरोधी’ का टैग हटाने के लिए के काम करना शुरू कर दिया है और इसके साथ ही किसानों के बीच अपना समर्थन बढ़ाने के लिए नई रणनीति पर काम करने में जुट गई है। जो लोग रणनीति पर काम कर रहे हैं उनका कहना है कि यूपी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 2019 में ‘अधिकतम समर्थन’ पाने की उम्मीद कर सकते हैं।

‘यूएसपी’ बनाने में जुटी भाजपा

दिल्ली की कुर्सी पर ‘सहज आसन’ के लिए भी रास्ता यूपी से ही होकर जाता है। इसलिए भाजपा यूपी में सबसे ज्यादा किसान के प्रति अपनी अच्छी छवि बनाने का प्रयास कर रही है। यही कारण है कि खरीफ की फसलों की एमएसपी बढ़ाने के अगले ही दिन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यूपी की तरफ रुख किया है। कृषि भवन में उन्होंने किसानों के साथ संवाद भी किया है, वहीं यूपी का कृषि विभाग उन्हें इस ऐतिहासिक फैसले के लिए सम्मानित भी किया।

वहीं दूसरी ओर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गांव-गांव तक इसका प्रचार प्रसार करने के लिए कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश दिए है। इससे साफ दिख रहा है कि भाजपा फसलों की एमएसपी को ‘यूएसपी’ बनाने में अभी से जुट गई है। यूएसपी के तहत उत्तर प्रदेश के किसानों को सरकार द्वारा लाभ दिया जाएगा। जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी।

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परंपरागत कृषि और असिंचित क्षेत्रों पर जोर कर रही सरकार

यूपी में मोदी सरकार से सर्वाधिक एमएसपी उन फसलों की बढ़ाई गई है, जो असिंचित क्षेत्रों में सबसे अधिक बोई गई हैं। इनमें दलहन और मोटे अनाज भी शामिल किए गए हैं। बुंदलेखड जैसे क्षेत्रों के किसानों को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। परंपरागत कृषि के एजेंडे पर भी सरकार द्वारा फोकस किया जा रहा है। ज्वार, बाजरा, रागी (मड़ुआ) जैसे मोटे अनाजों की एमएसपी 50% तक बढ़ा दी गई है। इसमें कुछ मोटे अनाज पोषक तत्वों की सूची में भी शामिल किया गया हैं। जिनको लेकर लगातार मांग बढ़ रही है।

जरूरी होगी खरीद की टाइमिंग

खरीफ की फसलों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना पहुंचाने के लिए खरीद की टाइमिंग भी बहुत ही आवश्यक है। अगर अरहर सहित कुछ दलहनी फसलों को छोड़ दिया जाए तो अक्टूबर-नवंबर में फसलों की खरीद शुरू होगी। इसके साथ ही इसी समय मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव भी हो रहे होंगे। ऐसे में फसल का अच्छा दाम वोट का रिटर्न गिफ्ट दिलाने में सरकार के लिए अहम हो सकता है। इसी के साथ लोकसभा चुनाव का माहौल भी अच्छी तरह से तैयार किया जा सकेगा। योगी सरकार ने अपने फायदे के समझते हुए खरीफ की फसलों की खरीद की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।

बताया जा रहा है कि पिछले साल सोदी सरकार ने लगभग 43 लाख टन धान खरीदा था। इस बार सरकार का लगभग 50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य बनाया है। इससे पहले खरीफ की फसलों में बीज की सब्सिडी भी योगी सरकार ने 50% से बढ़ाकर 80% तक कर दी थी।

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