लखनऊ , स्तनपान न केवल मां बल्कि बच्चे के लिए भी वरदान होता है। डब्लूएचओ के अनुसार आकार 0-6 माह तक एक्सक्लुसिव ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होता है। एक रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करवाई जाती है उनका आई क्यू लेवल ब्रैस्ट फीडिंग करवाने वाले बच्चो से 3 पॉइन्ट तक काम होता है। ये जानकारी विश्व स्तनपान सप्ताह दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अवंति बाई महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने ओपीडी में आई महिलाओं को दी। डॉ सलमान ने बताया कि बच्चो को 6 माह तक केवल एक्सक्लुसिव ब्रैस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। ब्रैस्ट फीडिंग के साथ ऊपरी दूध या कोई और चीज़ नही देनी चाहिए। इससे बच्चे को नुक्सान होता है।
डॉ. सलमान ने बताया कि मां का दूध बच्चे के लिए सही मात्रा में होता है। इसमें 20% प्रोटीन होता है और 80 फीसद पानी होता है। जो कि बच्चे की ज़रूरत के हिसाब से होता है। वही अगर बच्चे को गाय या डब्बे का दूध दिया जाता है तो उसमें 80% केसीन और 20% पानी होता है। इससे बच्चे को पाचन की समस्या भी हो जाती है। साथ ही आवश्यक चीज़े भी नही मिल पाती है। जिससे बच्चे के कुपोषित होने का भी डर रहता है। आगे चलकर मधुमेह और कार्डियक डिजीज का खतरा भी हो जाता है। डॉ सलमान ने यह भी बताया कि अगर ठीक तरह से ब्रैस्ट फीडिंग हज हुई और बच्चे को डब्बे का या और किसी का ढूध दिया गया तो बच्चा या तो कुपोषित होगा या उसे मोटापे की समस्या हो जाएगी। यही नहीं आगे चलकर उसे हाइपर टेंशन भी हो सकता है।
डब्लूएचओ की एक रिसर्च के अनुसार पाया गया है कि जो बच्चे ब्रैस्ट फीडिंग नही करते है वो पढ़ाई लिखाई में भी पीछे होते हैं। उनका आई क्यू लेवल ब्रैस्ट फीडिंग ख्वाब वाले बच्चो से कम होता है। टॉप फीडिंग वाले बच्चे ऊपर से ताकतवर और अंदर से कमज़ोर होते हैं। अगर बच्चों को टॉप मिल्क दिया जा रहा है तो ऐसे बच्चे देखने में सेहत में अच्छे दिखते हैं, लेकिन अंदर से कमज़ोर होते हैं। उनकी इम्युनिटी पावर भी कम होती है। वही अगर बच्चे को मिल्क पाउडर में ज़्यादा पानी दिया गया तो वो कुपोषित हो जायेगे। इसलिए कि माँ का दूध शिशु के लिए हर हाल में सही और पौष्टिक होता है।