बसपा लखनऊ के जिलाध्यक्ष डॉ. हरिकृष्ण गौतम के अनुसार, लंबे समय से पार्टी विरोधी गतिविधि में लगे सीएल वर्मा को काफी चेतावनी दी गई। उन्हें अनुशासन में रहकर कार्य करने की भी हिदायत दी गई थी। लेकिन इसके बाद भी उनके आचरण में कोई सुधार नहीं आया। इसलिए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।
बता दें कि सीएल वर्मा बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेहद करीबी माने जाते हैं। वर्मा बसपा सरकार के कार्यकाल में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के ओएसडी थे। प्रदेश सरकार में क्लास थ्री कर्मी से राजनीति में कूदने वाले वर्मा को बसपा ने अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने के आरोप में बसपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
एक महीने में कई लोगों को किया बाहर बागी नेताओं के लिए मायावती ने सख्त तेवर अपनाए हैं। एक महीने में ही मायावती ने कई नेताओं की छुट्टी कर यह संदेश दिया है किसी भी प्रकार की लापरवाही व अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पिछले दिनों पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी, पूर्व विधायक राजेंद्र चौधरी, पूर्व विधायक जितेंद्र उर्फ नंदू चौधरी और पूर्व विधायक दूधराम को मायावती ने पार्टी से निष्कासित किया था।
सात अन्य नेताओं पर भी कार्रवाई इससे पहले अन्य सात नेताओं पर भी बसपा सुप्रीमो ने बड़ी कार्रवाई की थी। पूर्व एमएलसी सुनील कुमार चित्तौड़, पूर्व मंत्री नारायण सिंह सुमन, पूर्व एमएलसी वीरू सुमन, पूर्व एमएलए कालीचरण सुमन, पूर्व जिलाध्यक्ष भारतेंदु अरुण, पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. मलखान सिंह व्यास, और पूर्व जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह को बर्खास्त किया था।
घटी संख्या कार्यकर्ताओं का निष्कासन व मायावती के सख्त तेवर पार्टी के अन्य लोगों को हजम नहीं हो रहा। बसपा में इसके विपरीत बसपा को छोड़कर सपा, भाजपा व कांग्रेस में शामिल होने वाले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। इसके साथ ही बसपा संगठन में आए दिन की अदला-बदली भी कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल का एक कारण माना जा रहा है।