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बहुजन समाज पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने व जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है। वहीं समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ खड़ी है। दूसरी बात, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने सपा पर आरोप लगाया था कि सपा से जुड़े मुस्लिम वोटर्स ने हमारी पार्टी को वोट नहीं किया, जिसके चलते बसपा प्रत्याशियों को वोट नहीं मिला और पार्टी कम सीटें जीतीं (वैसे लोकसभा चुनाव में उनके तीन मुस्लिम प्रत्याशी- कुंवर दानिश अली, हाजी फजलुर्रहमान, अफजल अंसारी – विजयी रहे थे)। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन दोनों बातों के बाद मायावती से मुस्लिम वोटर और दूर जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी एक मुस्लिम नेता को दी गई है।
बहुजन समाज पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने व जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है। वहीं समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ खड़ी है। दूसरी बात, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने सपा पर आरोप लगाया था कि सपा से जुड़े मुस्लिम वोटर्स ने हमारी पार्टी को वोट नहीं किया, जिसके चलते बसपा प्रत्याशियों को वोट नहीं मिला और पार्टी कम सीटें जीतीं (वैसे लोकसभा चुनाव में उनके तीन मुस्लिम प्रत्याशी- कुंवर दानिश अली, हाजी फजलुर्रहमान, अफजल अंसारी – विजयी रहे थे)। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन दोनों बातों के बाद मायावती से मुस्लिम वोटर और दूर जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी एक मुस्लिम नेता को दी गई है।
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मायावती ने पार्टी में फेरबदल कर उपचुनाव से पहले जातीय गणित को फिट किया है। बसपा अभी तक भारतीय जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे नीचे माने जाने वाले बहुजन, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक शामिल हैं, पर ही चुनाव लड़ती रही है। अब वह इनके अतिरिक्त मुस्लिम वोटर को भी अपनी ओर खींचना चाहती हैं।
मायावती ने पार्टी में फेरबदल कर उपचुनाव से पहले जातीय गणित को फिट किया है। बसपा अभी तक भारतीय जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे नीचे माने जाने वाले बहुजन, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक शामिल हैं, पर ही चुनाव लड़ती रही है। अब वह इनके अतिरिक्त मुस्लिम वोटर को भी अपनी ओर खींचना चाहती हैं।