919 लोग कर रहे इस बारे में बात
कांग्रेस नेता उदित राज और पीएल पुनिया ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस की शुरू से ही संविधान और राष्ट्रीय ध्वज में आस्था नहीं रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार ने ही संविधान समीक्षा आयोग बनाया था। अब जब उनके पास संसद में भारी बहुमत है और विपक्ष कमजोर हुआ है तो वो अपने मूल मुद्दों की तरफ लौट रहे हैं और आरक्षण व संविधान समीक्षा की बात कर रहे हैं। उदित राज ने कहा कि भागवत के बयान के बाद दलित, आदिवासी, ओबीसी और मुसलमानों को एकजुट हो जाना चाहिए।
भागवत ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बोला है लेकिन इसका खासा विरोध हुआ था। पूरी बहस को वास्तविक मुद्दे से हटा दिया गया था। उन्होंने कहा था कि जो आरक्षण का समर्थन करते हैं उन्हें आरक्षण विरोधियों की भावना का ख्याल रखना चाहिए। इसी तरह आरक्षण विरोधियों को भी आरक्षण समर्थकों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने आरक्षण के मसले पर शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा की बात कही थी। इससे पहले आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी भागवत के बयान का कड़ा विरोध किया। साथ ही उन्होंने कहा कि यह आग से खेलने की कोशिश है और ऐसा हुआ तो लोग सड़कों पर उतरेंगे और सौहार्दपूर्ण माहौल की चर्चा ही खत्म हो जाएगी। बहुमत के आधार पर सभी कुछ खत्म नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस ने बताया साजिश का हिस्सा
कांग्रेस ने भी भागवत के बयान को बड़ी साजिश का हिस्सा बताया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि गरीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना,दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना,यही असली भाजपाई एजेंडा है। भागवत ने साल 2015 में बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान भी आरक्षण की समीक्षा का बयान दिया था। इस पर कई दल भड़क गए थे। इसके बाद उन्होंने और बीजेपी ने इस पर सफाई भी दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कहा था कि आरक्षण को खत्म नहीं किया जाएगा।