बसपा नेताओं का कहना है कि राजनीति के बदलते रुख की वजह से मायावती दिग्भ्रमित हैं। उन्हें नहीं पता कि आखिर वे किस राह चलें। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की सक्रियता को देखते हुए मायावती असमंजस में हैं ? सोशल इंजीनियरिंग को अपनाएं या फिर दलित और मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करें। अपने कोर वोट बैंक को सहेजे या नए पिछड़ों को पुचकारे। इसके अलावा चंद्रशेखर की भीम आर्मी और सावित्रीबाई फुले की कांशीराम बहुजन समाज पार्टी कुछ ही सही, लेकिन बसपा के ही दलित वोटों में सेंध लगाने को तैयार है। नतीजन, एक बार फिर मायावती सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर फोकस कर रही हैं।
बसपा का ‘पैर छुओ अभियान’
इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश के ब्राम्हण गांवों पैर छुओ अभियान चलाएगी साथ ही ब्राम्हणों को पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग के बारे में भी जानकारी देगी। इसके लिए एक विशेष विंग की स्थापना की जाएगी, जिसकी कार्ययोजना जल्द ही तैयार होगी। इस बाबत बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने सभी जिलों के पदाधिकारियों तक लिखित आदेश दिया है। शनिवार को बिल्हौर के गेस्ट हाउस में हुई बैठक में इसकी जानकारी दी गई।